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જીવના હિતાર્થે હવે હું સુખ, સિદ્ધિદાયક એવા સિદ્ધિ મરણ રૂપ તનુ તનુત્ર(ક્વચ)નાં ગુણગાન કરીશ. ___ विमल और सर्वापेक्षा मनोहरजो जिनेन्द्रोंके चरणकमल है उन्हें नमस्कार करके, कवच के समान शरीरकी रक्षा करनेवाला सुखसिद्धि देनेवाला इस कवच का मैं भव्यजनों के हितार्थ कहूँगा ॥२॥
ॐ ही श्री उसभोसिर मवउ ___ॐ ऐं क्रो वि अजिओभालं । ॐ श्री संभवनोनेतं, पाउसया
सव्व सम्मदोय ॥ ३ ॥ (3) ॐ ॐ श्री *महेव स्वामी !