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(८) – मनः पर्ययलब्धि,
(१०) - गणधरलब्धि,
(१२) - पदानुसारिलब्धि
(११) -- पूर्वधरलब्धि, (१३) - क्षीरास्रवलब्धि, (१४) - घृतास्रवलब्धि,
(१५) - मध्वास्स्रवलब्धि (१६) - वैक्रियलब्धि, ( १७ ) - आहारकलब्धि (१८ ) - लेश्यालब्धि - (तेजेालेश्यालब्धि,
शीतललेश्यालब्धि),
(१९) - अक्षीण महानसलब्धि, और इनके अतिरिक्त जङ्घाचरण आदिक सभीलब्धियाँ गौतमस्वामीके अधीन में सर्वदा रहती हैं ॥ ११ - १२-१३-१४-१५॥
(७) - अवधिलब्धि,
(९) - केवलिलब्धि,
ऋद्धिः सिद्धिः सुखं संपद, यशः कीर्तिर्जयस्तथा । विजयश्वास्य पाठेन, लभ्यते नात्र संययः ॥ १६ ॥