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सूचकः वह (अच्छे बुरे का) सूचक होता है। श्रुतेः ऐसा श्रुति से (जाना जाता है) च और तद्विद्वः स्वप्नशास्त्र के वेत्तालोग भी
आचक्षते (वैसा ही) कहते हैं। यदि कहो कि केवल मिथ्या रूप होने से स्वप्न में सत्यता का गंध भी नहीं हो तो यह ठीक नहीं है। आगे होने वाले शुभ और अशुभ का स्वप्न सूचक होता है। श्रुति ऐसा कहती है। यदा कर्मसु काम्येषु स्त्रियं स्वप्रेणु वश्यति । समृद्धि तत्र जानी यतास्यिन्स्वप्न निर्दर्शने ।। (छा० ५/२/९) (काम्य कर्म करते हुए यदि स्वप्न में कोई स्त्री देखे तो ऐसे स्वप्न के आने से उसका कार्य सिद्ध होगा, ऐसा जानना चाहिए) वैसे ही आगे 'पुरुष कृष्णणं कृण्ण दन्तं पश्यति स एवं हन्ति कृष्ण वर्ण का काले दांत वाला पुरुष दिखाई दे तो वह उसका घातक होता है इत्यादि स्वप्नों से शीघ्र मृत्यु का ज्ञान होता है, ऐसा श्रुति कहती है। स्वप्न शास्त्र जानने वाले कहते हैं कि स्वप्न में हाथी पर बैठना आदि शुभसूचक हैं और गधे पर बैठना आदि शुभाशुभ सूचक हैं। ___हमारे प्राचीन शास्त्रों में भी इस प्रकार स्वप्नों का विवरण दिया गया है। मनौवैज्ञानिक भी स्वप्नों का महत्व स्वीकार करते हैं। हमारा अन्तर्मन अवश्य ही कुछ न कुछ अतीन्द्रिय शक्ति का धनी है। वैज्ञानिकों के पास आज भले ही भूकम्प आगमन के पूर्वलक्षण ग्रहण कर पाने की शक्ति नहो, पशु पक्षियों,जीवजंतु को इसका पूर्वाभास हो जाता है । यह एक निर्विवादित परिणाम है कि प्रत्येक घटित होने वाले कार्य के कुछ न कुछ पूर्व संकेत अवश्य होते हैं। इन्हीं पूर्व संकेतों को यदाकदा हमारी अतीन्द्रिय शक्ति ग्रहण कर लिया करती है जो स्वप्न के माध्यम से हमारे सामने आ जाती है । यह प्रक्रिया हमेशा गूढ़ रहती है।
वैज्ञानिक ने स्वप्नों पर काफी शोध की है। अधिकांश स्वप्न सत्य रूप में सामने आये हैं । इस कारण ज्योतिष और तंत्र में भी स्वप्नों का अपना महत्वपूर्ण स्थान है।