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NĀGĀNANDA
[ 2.12 འོངས་པ་༧ དཔལ་ལྡན་དགའ་བའི་ ལྷའི་ ཞབས་ཀྱི་པ་ད་ཉེ་ བར་བསྟེན་པའི་
आगतेन श्री- हर्ष- देवस्य पाद पन- *उपसेविना' གྱོལ་པོའི་ཚོགས་རྣམསཀྱིས་ ་ གས་པ་དང་ལྡན་པར་ བ ས་དེ ། ___राज-समूहेन'
* स. मानं आहूय བདག་ལ་ སྨྲས་པ །༩ ཇི་ལྟར་ ཁོ་བོ་ཅག་གི་ རྗེ་ དཔལ་ལྡན་ अहम् उक्तः । यथा अस्मत्- स्वामिना श्रीདགའ་བའི་ལྷས་” སྔར་མེད་པའི་ དངོས་པོ་ རྒྱན་རྣམ་པར་ བཀོད་
हर्षदेवेन' अपूर्व- वस्तु- 'अलकूत रचनाརིག་པ་འཛིན་པའི་ སྐྱེས་རབས་ལས་ བརྩམས་པ ཀླུ་ཀན་ཏུ་དགའ་བ་
विद्याधर- जातक- प्रतिबद्धं नागानन्दं ཞེས་བྱ་བའི་ ཟློས་གར་ མཛད་པ་ནི་1༠ ཁོ་བོ་ཅག་རྣམས་ཀྱིས་ नाटकं कृतम्
अस्माभिः ཉན་པ་པོ་བརྒྱད་པ་ལས་ ཐོས་ཏེ །སྦྱོར་པ་དག་ མི་ མཐོང་ངོ ༎1༔ * श्रोतृ- परम्परया श्रुतम्। प्रयोगो न दृष्टः ।।
अथाहमिन्द्रोत्सवे सबहुमानमाहूय नानादिग्देशागतेन राक्षः श्रीहर्षदेवस्य पादपद्मोपजीविना राजसमूहेनोक्तः यथा यत्तदस्मत्स्वामिना श्रीहर्षदेवनापूर्ववस्तुरचनालङ्कतं विद्याधरजातकप्रतिबद्ध नागानन्दं नाम नाटकं कृतमित्यस्माभिः श्रोत्रपरम्परया श्रुतं न प्रयोगतो दृष्टम् ।.12
जातक
नाम