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दफा ७४०-७४२]
खर्च पानेका अधिकार आदि
दबाने की कल्पनाकी जा सकेगी--मूलचन्द किशनदास बनाम ठाकुरबाई A. I. R. 1926 Sind. 18.
(२) जायदादपर भरणपोषणके खर्चका बोझ कब नहीं है ? -पति की जायदाद चाहे मौरूसी हो या खुद कमाई हुई हो, उसपर स्त्री, या विधवाके भरणपोषणके खर्चका बोझ एक प्रकार अवश्व ही है परन्तु पूर्ण रूपसे नहीं है, क्योंकि यह ज़रूरी नहीं है कि अगर वह जायदाद किसी ने खरीद ली हों तो उसका कोई हिस्सा उस खरीदारको स्त्री, या विधवाके खर्च के लिये छोड़ देना पड़े, देखो-हेमाङ्गिनीदासी बनाम केदारनाथ चौधरी 16 I. A. 116 16 Cal. 758; 5 Bom: 99; 12 Mad. 260; और देखो-24 All. 160; 15 Cal. 292, 4 All. 295; 22 All. 326; 12 Mad. 260; 27 Mad. 45; 6 Mad. 130.
यदि डिकरी या इकरारमें या वसीयतसे वैसा खर्च जायदादपर डाला गया हो तो वह जायदादको निश्चित रूपसे पाबन्द कर देता है, देखो-महालक्ष्याअम्मा बनाम वेङ्कटरत्नअम्मा 6 Mad. 83; 17 Mad. 268; 12 Bom. L. R. 1075; 12 Bom. H. 0.69-75; 20 W. R.C. R. 126; 23 Bom. 342; 6 I. A. 114; 5 Bom. 415. भरणपोषणका खर्च पानेवाले दूसरे अधिकारियोंके विषयमें भी यही सब बाते लागू होंगी। दफा ७४१ मुश्तरका ख़ानदानपर भरणपोषणकी डिकरी
जब किसी मुश्तरका खानदानपर भरणपोषणकी डिकरीकी जाय तो उस खानदानके सब शरीक मेम्बर उस डिकरीके पाबन्द होंगे चाहे वह उस मुकदमे में फरीक रहेहों, या न रहे हों, देखो--भीनाक्षी बनाम चिन्नअप्पा 24
Mad.689;30 Mad 324. परन्तु यदि बापके विरुद्ध या मुश्तरका खानदानके किसी मेम्बरकी ज़ात खासके विरुद्ध डिकरी हुई हो तो उस डिकरीका वही पाबन्द होगा दूसरा नहीं 10 Mad. 283. सिर्फ ज़ात खासपर डिकरी होनेसे जायदाद पर बोझ नहीं पड़ता है।
वारिस, उस जायदादसे जिसे कि उसने वरासतसे प्राप्त किया है उन व्यक्तियोंकी परवरिशका जिम्मेदार है जिनकी परवरिशकी पाबन्दी गत मालिक जायदादपर नैतिक तथा कानूनी रीतिपर थी। मु० भोलीबाई बनाम द्वारिकादास 84 I. C. 168A. I. R. 1925 Lah. 32. दफा ७४२ विधवाका बसीयतपर आपत्ति करना
विधवा अपने पति के वसीयत नामेपर सिर्फ उतनी ही दूरतक आपत्ति कर सकती है जहांतक कि उसका सम्बन्ध उसके भरणपोषणके हक़से हो, 11 Cal. 4929 12 C. W. N. 808. परन्तु अपने बेटेकी वसीयत नामेपर वैसी आपत्ति नहीं कर सकती 4 C. W. N. 602.
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