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हिन्दूलों के स्कूलों का वर्णन
[ प्रथम प्रकरण
भी सम्भव है कि किसी समय दूसरोंने उसमें कुछ नये श्लोक जोड़ दिये हों । बुलर साहेबकी राय है कि वर्तमान मानव धर्मशास्त्र या तो २१०० वर्ष पूर्व लिखा गया था या १७०० वर्ष पूर्व या इन दोनों के बीचमें ।
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वास्तवमै मनुका काल अति प्राचीन है ऊपर अनेक प्रसिद्ध पुरुषोंकी सम्मतियां बता दी गयीं मेरी रायमें उपनिषदके निर्माण करने के समय के या तो पीछे या लगभग उसी कालमें मनुका समय हो सकता है उपनिषदका समय निश्चित करने के लिये बहुत प्रमाणोंकी आवश्यकता है, विस्तारके भयसे इस विषयको यहीं पर छोड़ता हूं ( देखो दफा ३ )
(७) याज्ञवल्क्य - इस समयसे १४०० वर्ष पहिले हुए थे इनकी स्मृति का अंगरेजी भाषांतर मिस्टर बी० एन० मांडलीकने और डाक्टर रोवरने तथा हाल मिस्टर सेटलौर और मिस्टर घारपुरेने किया है जर्मनीमें भी इस स्मृतिका भाषांतर प्रोफेसर स्टेजलेरने सन् १८४६ ई० में किया था । इस स्मृति फैले हुए विषयको इकट्ठा करके कहा गया है ।
(८) नारद - पांचवीं शताब्दीमें पैदा हुये थे डाक्टर जालीने इसका अंगरेजी भाषान्तर किया है नारद नेपालके रहनेवाले थे इन्होंने क़ानून किस तरह बर्ताव में लाया जाय इसके नियम अच्छे बनाये हैं इन्हीं के बनाये हुए नियमों के अनुसार प्रायः अंगरेजी क़ानूनके बर्तावके नियम हैं ।
( १ ) मेधातिधि - नवीं शताब्दी में पैदा हुए मनुस्मृतिपर सबसे पहिली टीका इन्हीं की है । मिताक्षराकारने मेधातिथिसे कुछ अवतरण लिया है इससे मेधातिथि प्रख्यात क्क़ानून बनानेवाले समझे गये थे । मेधातिथिकी टीका अब कम मिलती है दो चार प्रति मैंने देखीं उनके मूलमें परस्पर विरोध मिला हर्षकी बात यह है कि मिस्टर घारपुरे M. A, L. L. B. गिरगांव बम्बई ने इस टीकाको प्रकाशित कर दिया है ।
(१०) कुल्लूक - - चौदहवीं शताब्दी में पैदा हुए इनकी टीका मेधातिथिके टीकाका सारांश है ।
( ११ ) विज्ञानेश्वर -- ग्यारहवीं शताब्दीमें पैदा हुए यह दक्षिण प्रांतकी चालूक्य नामक राजकी राजधानी कल्याण ( बम्बई प्रांत ) में रहते थे इनकी टीकाको डाक्टर कोलब्रुक साहबने अंग्रेजी भाषांतर किया है, हालमें मिस्टर सेटलौर और मिस्टर घारपुरेने भी भाषांतर किया है। इनके टीकाका नाम मिताक्षरा है बंगाल छोड़कर तमाम भारतमें माना जाता है ।
( १२ ) पार्क- -- सन १९४० ई० में पैदा हुए और १९५६ में मरगये यह कोकन प्रांतके राजा थे और इनका ग्रन्थ काश्मीरमें अधिक माना गया इस ग्रन्थके भाग पूनाके आनन्दाश्रम सीरीज़में निकले हैं। मिस्टर राजकुमार सर्वाधिकारी इस ग्रन्थके दायभागका अङ्गरेज़ी भाषांतर किया है ।