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________________ दफा ६८४-६८६ ] स्त्रियोंकी वरासतकी जायदाद ८४१ एक खास कायदेके अनुसार होता है उस कायदेके अनुसार बेटी अपनी मा की तरह उस जायदादकी पूरी मालिक होती है, देखो-2 Mad. L.J.149; 19 Mad. 107, 109; 24 Bom. 192. मगर इसके खिलाफ एक नजीर है32 Mad. 521; 19 Mad. 110. मिताक्षराके जिस नियमके अनुसार यह कायदा बना है उसके अनुसार स्त्रीधनकी जायदादपर उस (बेटी) का अधिकार भी बैसाही होता है जैसा अन्य स्त्रियोंका। दफा ६८५ जैन विधवा ___ सरावगी अगरवालकी पुत्रहीना विधवाको अपनी सम्प्रदायके रवाज के अनुसार अपने मृत पतिकी जायदादमें अन्य हिन्दू विधवाकी अपेक्षा अधिक अधिकार प्राप्त हैं अर्थात् वह अपने पतिकी कमाई हुई जायदादकी पूरी मालिक होती है। शिवसिंहराय बनाम दाखो 6 N. W. P. 382; 5 I. A. 87, 1 All. 688. शम्भूनाथ बनाम ज्ञानचन्द्र 16 All. 379. हरिनामप्रसाद बनाम माडिलदास 27 Cal. 379. किन्तु मौरूसी जायदादके विषयमें उसका बही अधिकार होता है जो हिन्दू विधवाका होता है। दफा ६८६ मनकूला जायदादपर विधवाका कैसा अधिकार है ? __ बङ्गाल और बनारस स्कूलके अनुसार मनकूला जायदादपर जो किसी स्त्रीको उत्तराधिकारमें मिले जैसे विधवाका या अन्य किसी सीमावद्ध अधिकार रखने वाले वारिसका वैसाही अधिकार होता है जैसा कि गैर मनकूला जायदादपर होता है। दक्षिण हिन्दुस्थानके विषयमें मदरास हाईकोर्टकी राय भी ऐसी ही है दुर्गानाथ प्रमाणिक बनाम चिन्तामणीदासी 31 Cal. 214; 11 M. I. A. 139; 8 Mad. 290, 304. इस विषयमें बम्बईका लॉ कुछ निश्चित नहीं है, मगर यह स्पष्ट है कि बम्बई प्रान्तके जिन जिलोंमें मिताक्षरा प्रधान माना जाता है उनमें विधवा का अधिकार बङ्गाल या बनारस स्कूलकी विधवासे अधिक नहीं है-32 Bom. 59; 9 Bom. L. R. 305; 17 Bom. 690. यह भी स्पष्ट है कि जिन प्रान्तोंमें मयूख प्रधान माना जाता है उनमें भी विधवा अपने पतिसे उत्तराधिकारमें मिले हुये माल मनकूलाको वसीयत द्वारा किसीको नहीं दे सकती, देखो-छम्मनलाल मगनलाल शाह बनाम डोशी गणेश मोतीचन्द 28 Bom. 453, 6 Born. L. R. 460; 17 Bom. 690; 21 Bom. 170. विधवाके मरनेके बाद वह मनकूला जायदाद उसके वारिसको नहीं मिलेगी और न वे उस जायदादसे विधवाका कर्ज चुका सकते हैं, देखो-16 Bom. 233. - . . . 106
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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