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दफा ६८३]
त्रियोंकी वरासतकी जायदाद
दादकी वारिस हुई है उस हैसियतको नहीं बदल सकती, देखो--श्यामलाल मित्र बनाम अमरेन्द्रनाथ (1895) 23 Cal. 460.
इसी तरहपर बेटी भी जायदादमें ऐसा कोई काम नहीं कर सकती जिससे उसके बाद होने वाले वारिसके हकोंमें कोई तब्दीली आजाने 3Mad.
H. C. 812. कैलाशचन्द्र चक्रवर्ती बनाम काशीचन्द्र चक्रवर्ती 24 Cal.3391 (1903) 26 All. 546, 23 Mad. 504: ____ अगर कोई स्त्री जिसे महदूद अधिकार प्राप्त हैं जायदादकोउस पारिस की मंजूरीके साथ जो उसके मरनेके बाद वारिस होने वाला है किसी दूसरे को इन्तकाल करदे तो ऐसा भी वह नहीं कर सकती, देखो--13 Mad. L. J. 323. हेमचन्द्र बनाम शरणमयीदेवी 22 Cal. 354; 30 Mad. 201. हरगवन मगन बनाम बैजनाथदास (1909) 32 All. 88; 33Mad.474. ..
और अगर किसी स्त्रीके पीछे होने वाले वारिसने उस जायदादके बदले में योग्य कीमत या कोई चीज़ लेकर इन्तकालकर देनेकी मंजूरी दी हो तो उस सूरतमें उस होने वाले वारिसको अपनी मन्जूरीका पाबन्द होना पड़ेगा और स्त्रीका इन्तकाल सही रहेगा, देखो-2C. W. N. 132; 10 Bom. L. R.210 और देखो दफा ७०८, ७०६.. ... सरकारके बन्दोबस्त करनेसे विधवाका अधिकार नहीं बदलेगा और अगर उस बन्दोवस्त में कोई खास तौरका हुक्म दिया गया हो तो दूसरी बात है 30 Al]. 490. दफा ६८३ बम्बई प्रान्तमें वरासतसे मिली हुई जायदादपर
स्त्रियों के अधिकार (१) बम्बई प्रान्तमें जहांपर मिताक्षरा या जहाँपर मयूखका प्राधान्य है, वहां किसी पुरुष या स्त्रीसे किसी स्त्रीको परासतमें मिली हुई जायदाद उस वारिसकी अपनी जायदाद होती है, परन्तु यह बात विधवा, मा, और लड़केकी विधवा, तथा गोत्रज सपिसडोंकी विधवाओंके लिये नहीं है। उस जायदादपर उक्त स्त्रियोंका अधिकार उतनाही होता है जितना कि उनके पति का जीवनकालमें होता है. यानी अगर किसी स्त्रीको उत्तराधिकारसे उस वक्त जायदाद मिली हो जबकि उसका पति जिन्दा है ( जैसे मा) तो जितना अधिकार उनके पतिका देख रेख (Control) करने में होता सिर्फ उतनाही अघिकार उक्त स्त्रियोंको जायदादमें प्राप्त रहता है, वह पूरी मालिक नहीं समझी जाती 30 Bom. 229; 7 Bom. L. R. 936.
(२) जब एकही दर्जेके अनेक वारिस हों तो उनमें सरवाइवरशिपका हक्र लागू नहीं पड़ेगा।