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उत्तराधिकार
[नवां प्रकरण
(१) बहन, देखो-कुट्टी बनाम राधाकृष्ण 8 Mad. H. C. 88. (२) सौतेली बहन, देखो-कुमार बेलू बनाम बिराना M. 29. (३) लड़के की लड़की, देखो-14 Mad. 149. (४) लड़कीकी लड़की, देखो-17 Mad. 182. (५) भाईकी लड़की, देखो-21 Mad. 263. (६) बापकी बहन, देखो-16 Mad. 421.
यह ऊपर कही हुयी औरतें मृतपुरुषके नज़दीकी रिश्तेदारीके क्रमसे वारिस होती हैं । लेकिन सब मर्द-बन्धुओंके पीछे इन औरतोंका हक्न पैदा होता है, देखो-वेङ्कवनरसिंह बनाम वेङ्कट पुरुषोत्तम (1908) 31 Mad. 321 और देखो प्रकरण ११ः
(६) कानूनी वारिस न होनेपर उत्तराधिकार
दफा ६४२ जब कोई वारिस न हो तो जायदाद कहां जायगी?
याज्ञवल्क्य जी कहते हैं कि किसी वारिसके न होनेपर जायदाद शिष्य, और ब्रह्मचारीको मिलेगी, देखो
(१) पत्नी दुहितरश्चैव पितरौ भ्रातरस्तथा तत्सुतागोत्रजाबन्धुः शिष्यः सब्रह्मचारिणः २-१३५ मिताभरामें कहा गया है कि'बन्धूनामभावे प्राचार्यः । तद्भावे शिष्यः'
बन्धुओं के अभाव में प्राचार्य और उसके अभाव में शिष्य को जायदाद मिलेगी।
(२) गौतमजी कहते हैं कि'श्रोत्रिया ब्राह्मण स्यानपत्यस्य रिक्थं भजेरन्' अनयत्य पुरुषकी जायदाद वेदपाठी ब्राह्मणको मिलेगी।
(३) मनुजी ने कहा है किर 'सर्वेषामप्यभावेतु ब्राह्मणारिक्थ भागिनः।
विद्याः शुचयो दांतास्तथा धर्मों न हीयते' ६-१८८