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दफा ६३७]
बन्धुओंमें धरासत मिलनेका क्रम
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(६) जिस तरह पर कि ऊपर कहे हुये (कोष्टके नं० ३ से १ तक) सात रिश्तेदार मृत पुरुषके बन्धु बताये गये हैं उसी तरहपर मृत पुरुषके बाप की पितृपक्षवाली लाइन (दाहने तरफ नं०१ से ४ देखो) में चारों पूर्वजोंमें से हर एकके यह सात (नीचेकी शाखाके कोष्टके नं० ३ से १ तक ) रिश्ते. दार मृत पुरुषके बन्धु होंगे इस तरह पर चारों पूर्वजोंके द्वारा २८ बन्धु होंगे। अर्थात् कोष्टके नं०३ से १ तक सात बन्धु नीचेकी शाखामें बताये गये, अब ऊपरकी शाखामें देखो. १ बापका स्थान है। बाप और बापके तीन पूर्वज मिलाकर ४ हुये, इनके प्रत्येकके सात सात रिश्तेदार जो नीचेकी शाखामें कोष्ट में बताये गये हैं जोड़नेसे २८ हुये । इस २८ में नीचेके ७ बन्धु और जोड़ दो तो ३५ होंगे यही क्रम बापके बायें तरफ ८-१४ के रूपमें ३५ बन्धुतक दिखाया
गया है।
(७) इसी तरह पर मृत पुरुषके बाकीके सब पूर्वजोंमें से (दाहिने तरफ ५ से १२) हर एक पूर्वजके, इन सात रिश्तेदारोंके अलावा, उनके बेटे, पोते, परपोते और परपोतेके लड़के भी मृत पुरुषके बन्धु होंगे। एवं इन सब पूर्वजों में से हर एक के ११ रिश्तेदार मृत पुरुषके बन्धु होंगे इसलिये कुल बन्धु इन पाठ पूर्वजोंके द्वारा ८८होंगे । अर्थात् दाहिने तरफके नं०५ से १२ तक ८ पूर्वज (३ पितृपक्षके और ५ मातृपक्षके) हैं। इन प्रत्येकके ११ रिश्तेदार और मिलाओ तो ८८ हुये । इन ८८ में पहलेके ३५ बन्धु भी जोड़ो तो १२३ बन्धु -होते हैं। यही क्रम ३६-४६ के रूपमें बाये तरफ ननशेमें दिखाया गया है। .
. मृत पुरुषके कुल बन्धु यह होते हैं- १-मृत पुरुषकी औलादमें से
२-उसके पिताके पितृपक्षके चार पूर्वजों द्वारा ... २८ ३-उसके दूसरे पूर्वजों द्वारा
___ कुल जोड़ १२३ नोट-लड़कीका लड़का यद्यपि बन्धुहै मगर वह वरासतमें मासे पहिले अधिकारी है।
नाना-ऊपरकी शाखा वाले बन्धुओंमें नानाका बन्धु होना सबने स्वीकार किया है और अदालतमें नानाके बन्धु माने जानेके बारे में फैसले भी हुये हैं । मगर यह नहीं समझ लेना चाहिये कि ऊपरवाली शाखामें सिर्फ नानाही बन्धु होगा, बलि अपने नानाके सिवाय बापका नाना और मा का नाना भी बन्धु माना गया है।
ऊपर जो १२३ बन्धु कलकत्ता हाईकोर्ट के अनुसार बताये गये हैं वह तीन किस्मके हैं योनी आत्मबन्धु, पितृबन्धु और मालबन्धु। . . , ...
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