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.... उत्तराधिकार -
[नो प्रकरण
PAARAMAme.
समानोदक और साकुल्य- यद्यपि प्रत्येक व्यक्तिको यह अधिकार है कि वह किसी अन्य व्यक्तिको पानीका पिण्ड दे, किन्तु कानून उत्तराधिकार द्वारा पाक्य समानोदकमें एक परिमित वर्गको ही विशेषता दीगई है। प्रत्येक व्यक्ति जो पानी देनेका अधिकारी है, वारिस नहीं हो सकता: किन्तु समानोदकोंमें से केवल वही उत्तराधिकारी हो सकते हैं जो समानोदकके होते हुये साकुल्य भी हों, यानी उनका सम्बन्ध मुतवफीके खान्दानसे मी हो। मा के सम्बन्धियोंका शुमार साकुल्यमें नहीं होता--शम्भूचन्द्र देबनाम कार्तिक चन्द्र दे--A. I. R. 1927 Cal. 11.
नम्बर ५७ तक के वारिसोंका क्रम दफा ६२४ में ठीक बताया गया है आगेके नम्बरोंका क्रम भी उसी प्रकार समझ लीजिये जो सिद्धान्त ५७ पीढ़ी के क्रम निश्चित करने में माना गया है वही समानोदकोंमें समझना, सिद्धान्त देखो ६२३-६२५. दफा ६३२ समानोदकोंका नक्शा देखो
(५) बन्धुओंमें वरासत मिलनेका क्रम
अब हम उत्तराधिकार में बन्धुओं के बरासत पानेका विषय वर्णन करते हैं । बन्धुओंका क्रम पेंचीदा है। दफा ५८१ के नकशेके सिद्धान्तको प्यानमें रखिये । मिताक्षराने जो सिद्धान्त सपिण्ड निश्चित करनेमें माना है वही बन्धुओंमें भी माना है । सपिण्ड और बन्धुमें कोई भेद नहीं है क्योंकि दोनों का सम्बन्ध शारीरिक सम्बन्धके द्वारा पैदा होता है, भिन्न गोत्र होनेसे शारीरिक सम्बन्धमें कोई बाधा नहीं पड़ती । बन्धुओंका यह विषय पढ़नेसे पहले तीन बातोंपर अवश्य ध्यान रखना । (१) सपिण्डके सिद्धान्तों को स्मरण रखते हुए आप यह विचार करें कि माता-पिताके शरीरके अंश पुत्र, पौत्र और प्रपौत्र में कमसे कमती होते जाते हैं, यानी ऐसा मानों कि पुत्रका शरीर ६०० अंशोसे बना है तो ३०० अंश माताके शरीरसे और ३०० अंश पिताके शरीरसे आये एवं पौत्रके शरीरमें, दादी-दादाके शरीरके अंश डेढ़, डेढ़ सौ आये, तथा प्रपौत्रके शरीरमें परदादी-परदादाके शरीरके अंश पचहत्तर, पचहत्तर आये । इससे यह बात स्पष्ट हो गयी कि पुत्रके शरीरमें माता-पिताके शरीर के अंश सबसे ज्यादा हैं । अब यह विचार कीजिये कि पुत्रमें यदि माता-पिताके शरीरके अंश सबसे ज्यादा हैं तो लड़कीमें भी उतने ही अंश हैं क्योंकि पुत्र और लड़की एक ही माता-पितासे जन्मे हैं अर्थात लड़कीके शरीरमें भी माता-पिता के शरीरके अंश तीन, तीन सौ मौजूद एवं लड़की की लड़कीके शरीरम डेद, डेढसौ अंश और लड़की की बेटीकी लड़कीके शरीरमें पचहत्तर पचहत्तर अंश मौजूद हैं । लड़कियों की लाइनकी सन्तान बन्धुओंके अन्तर्गत है । नतीजा यह निकला कि जिस सिद्धान्तसे पुत्रकी लाइनमें सगात्र सपिण्ड निश्चित किया