________________
दफा ६१६-६२० ]
सपिण्डों में वरासत मिलनेका क्रम
दफा ६१८ परदादाकी वरासत ( प्रपितामह )
( १ ) लड़के - - पोते -- परपोते, विधवा लड़की, नेवासा, माता, पिता, भाई, भाई के लड़के, भाईके पोते, दादी, दादा, लड़केकी लड़की, लड़की की लड़की, बहन, चहनका लड़का, चाचा, चाचाके लड़के, चाचाके पोते और परदादी के न होनेपर उत्तराधिकारकी जायदाद परदादाको मिलेगी । मिताक्षरा में कहा गया है कि
-७४१
'पितामह सन्तानाभावे प्रपितामही प्रपितामहस्तत्पुत्राः "
परदादी के अभाव में परदादा हक़दार है । यानी परदादीके पश्चात् परदादा वारिस होगा ।
( २ ) परदादा जायदाद का पूरा मालिक होगा (देखो दफा ५६४ ) दफा ६१९ दादा भाईको वरः सत ( पितामहका भाई - बाप के भाई )
(१) लड़के, पोते, परपोते, विधवा, लड़की, नेवासा, माता, पिता, भाई, भाईके लड़के, भाईके पोते, दादी, दादा, लड़केकी लड़की, लड़की की लड़की, बहन, बहनका लड़का, चात्रा, चाचाके लड़के, चाचा के पोते, परदादी और परदादा न होनेपर उत्तराधिकारमें जायदाद, दादाके भाईको मिलेगी ।
जो बचन मिताक्षराका ऊपर परदादाकी वरासतमें कहा गया है उसके अनुसार माना गया है कि प्रपितामहके न होनेपर उनके पुत्र अधिकारी होंगे । इसलिये परदादा के पश्चात् दादाके भाई उत्तराधिकारी हैं।
(२) दादाका भाई जायदादका पूरा मालिक होगा (देखो दफा ५६४) और सब हिस्सा बराबर लेंगे सरवाइवरशिप नहीं लागू होगा (देखो दफा ५५८; ५७०; ५७२ )
दफा ६२० दादाके भतीजे की वरासत (पितामहके भाई का लड़का )
(१) लड़के, पोते, परपोते, विधवा, लड़की, नेवासा, माता, पिता, भाई भाईके लड़के, भाईके पोते, दादी, दादा, लड़केकी लड़की, लड़कीकी लड़की, बहन, बहनका लड़का, चाचा, चाचाके लड़के चाचाके पोते, परदादी, परदादा और दादा भाईके न होनेपर दादाके भतीजे उत्तराधिकारकी जायदाद पाते. हैं। मिताक्षरामें कहा गया है कि
'पितामह सन्तानाभावे प्रपितामही प्रपितामहस्तत्पुत्रास्तत्सूनवः'