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दफा ६०५]
सपिण्डोंमें वरासत मिलनेका क्रम
(१४) अवध और पञ्जाब प्रांतमें लड़की और नेवासेका हक नहीं माना गया-पञ्जाब प्रान्तकी कई एक जातियोंमें माना गया है कि मर्द सम्बन्धी रिश्तेदारके मुकाबिलेमें स्त्री सम्बन्धी रिश्तेदारोंका हक वरासतमें जायदाद पानेका नहीं है। यानी उनमें लड़की, या लड़कीका लड़का वरासतमें जायदाद नहीं पासकता, देखो-पाव कस्टम ७२ और देखो पाव कस्टमरीलॉ 11, 80; III 48.अवध प्रान्तके प्रायः क्षत्रिय तालुकेदारों और ज़मीदारोंमें लड़की
और लड़कीके लड़कोंका हक उत्तराधिकारकी जायदादमें नहीं माना जाता। इस विषयमें मिस्टर मेन साहेव कहते हैं कि "बहुत सी अवध प्रान्तकीं अपीलें जो प्रिवी कौंसिलमें मेरी तजवीज़में आयी हैं उनमें गांवके वाजिबुल अर्ज से ज़ाहिर हुआ है कि जायदाद चाहे वह मौरूसी हो या खुद कमाई हुई हो, लड़की और लड़कीके बच्चोंका हक़ उस जायदादमें नहीं है, और एक सरक्यु लर नम्बरी ४२ सन् १८६४ चीफ कमिश्नर साहेब बहादुर अवधका इसी मतलबका है कि इस (अवध )प्रान्तके ऊंचे कुल वाले क्षत्रियों में ऊपर कही हुई रवाज प्रचलित है।" देखो मेन हिन्दूलाँ की दफा ५६१ जिन मुकद्दमोंमें रवाज के आधारपर लड़की और लड़कीके लड़कोंका हक उत्तराधिकारकी जायदाद में नहीं माना गया वह नीचे लिखे हैं, देखो-बजरङ्गीसिंह बनाम मनोकर्णिका बाशसिंह (1907) 35I.A.1, 30All.1; 12C.W.N.74,9Bom.L.R.13482 नानाजी उत्पत भाऊ बनाम सुन्दरबाई (1874) 11 Bom. H. C. 249: (पंढरपुरके 'उत्पात' नामक परिवारमें). प्रागजीवन दयाराम बनाम रेखाबाई ( 1881) 5 Bom. 482.वीराभाई अजभाई बनाम हिरावाबाई (1903) 30 1. A. 234; 2363 27 Bom. 492, 49837C.W. N. 716, 718, 719. (चुदासामागमेटे गरासिया कौममें). मुसम्मात पार्वती कुंवर बनाम चन्द्रपाल कुंवर रानी (1909) 36 I. A. 126; 31 All. 457; 13 C. W. N. 1073; 11 Bom. L. R. 890. (चौहान राजपूत अवध प्रान्तमें ). गोहल गरासिया नामक कौममें कोई रवाज मुक़र्रर नहीं है, रंछोड़दास विट्ठलदास बनाम रावल नाथूबाई केसाभाई (1895) 21 Bom. 110.
, एक हिन्दू पुत्री, अपने पिताकी, जो मुसलमान होगया हो, वारिस नहीं हो सकती। ऐक्ट २१सन् १८५०ई०के अनुसार यह नाजायज़ है-सुन्दर अम्मल बनाम अमीनल 40 Mad. 1118, Foil. I1 All 100 Not follz A. I. R. 1927 Mad 72.
अमीर और गरीब बहन-दो बहनोंकी बीचकी एक नालिशमें मुहाअलेह बहनकी ओरसे यह दलील पेश कीगयी, कि मुद्दई बहिन बहुत बीमार है और मुद्दाअलेहको गरीबीके कारण मिताक्षराके उस कानूनके अनुसार जिसमें गरीबको अमीरके ऊपर तरजीह दीगयी है तरजीह मिलानी चाहिये।