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दफा ६०५ ]
सपिण्डों में वरासत मिलने का क्रम
उदाहरण - महेशके दो लड़कियें शारदा और सरस्वती हैं। शारदाके एक लड़की कमला और सरस्वतीके एक लड़की माधुरी है। महेश मरा तो अब महेश
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शारदा
सरस्वती
कमला
माधुरी
महेशके मरनेपर उसकी जायदाद दोनों लड़कियां लेंगी । बम्बई प्रान्त में दोनों लड़किये बापसे पाई हुई जायदादपर आधे आधे हिस्से की पूरी मालकिन हो गयीं और इसी लिये उनके मरनेपर जायदाद उनके वारिसको मिलेगी। पैरा ५ में कहे हुए स्कूलों में दोनों लड़कियां सरवाइवरशिपके इनके साथ बाकी जायदाद लेती हैं और एक लड़कीके मरनेपर दूसरी लड़की 'उसकी जायदाद की वारिस होती है और दोनोंके मरनेपर वह जायदाद किसी लड़की के वारिसको नहीं मिलती बक्लि उसके बापके वारिसको मिलती है । बम्बई में यही बिचित्र बात है कि यहांपर दोनों लड़कियां बापकी जायदाद सरवाइवरशिपके हक़के साथ नहीं लेतीं; इसी कारणसे हरएक लड़की अपने हिस्से के अनुसार जायदादपर पूरा मालिकाना क़ब्ज़ा कर लेती है; मानों वह उतने हिस्से की असली मालिक होगयी । इसीलिये इस प्रान्तमें हर एक लड़की अपना हिस्सा बिला किसी रोकके रेहन कर सकती है, बेंच सकती है और जैसा जीमें आये कर सकती है जिस तरहपर स्त्रीधनमें उसका अधिकार है उसी तरहपर बापसे पायी हुई जायदादपर हो जाता है । यही कारण है कि उस लड़की के मरनेपर जायदाद लड़कीके वारिसको मिलती है, बापके वारिस को नहीं । देखो जब महेश मरा तो दोनों लड़कियें उसकी छोड़ी हुई जायदाद पर आधे आधे हिस्सेकी पूरी वारिस होंगी। पीछे शारदा मरी तो शारदाका श्रधा हिस्सा उसकी लड़की कमलाको मिला, एवं सरस्वतीके मरने पर उसका हिस्सा माधुरीको मिला ।
नोट- - यह स्मरण रखना चाहिये कि बम्बई स्कूलको छोड़कर बाकी सब स्कूलोंमे लड़कियां सरवाइवरशिपके इकके साथ बापकी जायदाद लेती हैं और अपना हक उस जायदादमें महदूद रखती हैं. । वह लड़कियां जायदादको रेहन या बय नहीं कर सकतीं क्योंकि उन्हें अपने जीवन भरके लिये जायदाद मिली हैं, बम्बई में इसके बिरुद्ध है ।
(७) दुश्चरित्रता- दुश्चरित्रताका दोष लड़कीको जायदाद में हिस्सा पानेके लिये कोई रोक नहीं करेगा, देखो - आधअप्पा बनाम रुद्रव 4 Bom. 104. कोजी आडू बनाम लक्ष्मी 6 Mad. 149; 156.
लेकिन जहां पर एक ऐसी लड़की यानी दुश्चरित्रा बिन व्याही हो और दूसरी व्याही सच्चरित्रा हो तो जायदादके पानेका हक़ सच्चरित्रा ब्याही लड़की