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उत्तराधिकार
[ नवां प्रकरण
जायगा । इसलिये जब आखिरी मालिक के मरने पर उसकी जायदादकी वारिस कोई भी औरत हो वह बेटे, पोते, परपोतेकी विधवाको भी रोटी कपड़ा देने के लिये क़ानूनी पाबन्द है ।
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४ - लड़कियों के विवाह के लिये -
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उन लड़कियोंके विवाहके लिये जायदाद इन्तक़ालकी जा सकेगी जिन लड़कियोंके विवाद करनेके लिये आखिरी मालिक पाबन्द था जैसे - बहन, लड़की, लड़केकी लड़की, पोतेकी लड़की, परपोतेकी लड़की, इत्यादि, देखोदेवीदयाल बनाम भानु प्रताप 33 Cal. 433. मखन बनाम गयन 33All 255. गनपति बनाम तुलसीराम 36 Bom. 88.
उनके परवरिशकी पावन्दी, जिनकी परवरिश उस जायदादपर अवलम्बित है - माता जो अपने पुत्रकी जायदाद वरासतसे प्राप्त करती है, श्राया उस जायदाद के रेहननामेका, बरारज़ शादी अपने पतिके भाईके पुत्र की पुत्रीके, अधिकार है- क़ानूनी आवश्यकता - बैजनाथ राय बनाम मङ्गल DAIĘ AICIAN AT 5 Pat. 350; A. I. R. 1926 Pat. 1,
५ - गवर्नमेन्टकी मालगुज़ारीके लिये
अगर पहिले किसी आदमीकी बदइन्तज़ामी और ग़फलतकी वजहसे सरकारी मालगुज़ारी बाक़ी रह गई हो और उस मालगुज़ारीके अदा करने के लिये औरत क़र्जा लिया हो या जायदादका इन्तक़ाल किया हो तो दोनों जायज़ होंगे। लेकिन जब यह बात औरतने जान बूझकर की हो या क़र्जा देने वाला या मोल लेने वाला इस बदइन्तज़ामीका कारण हो तो वह इन्तनाल रद्द हो जायगा; देखो - जीवन बनाम वृजलाल 30 Cal. 550; 30 I. A. 81. श्रीमोहन बनाम बृजबिहारी 36 Cal. 753.
६- ज़रूरी मुक़द्दमेसे जायदाद बचानेके लिये- जब कोई ऐसा खास मुक़द्दमा दायर हो जाय जिससे जायदाद नष्ट हो सकती हो और उसकी पैरवीका खर्च निहायत ज़रूरी हो, तो उस खर्चके लिये जायदादका इन्तकाल जायज़ होगा, मगर हर हालतमें यह ज़रूरी है कि ऐसे खर्चके लिये जायदाद का इन्तक़ाल उस वक्त जायज़ मानाजायगा जब यह साबितहो कि सिवाय इस तरीके और कोई तरीक़ा बाक़ी न था; देखो-अमजदअली बनाम मनीराम 12 Cal. 52. इन्द्रकुंवर बनाम ललताप्रसाद 4 All. 552 मीमारेद्दी बनाम भास्कर 6 Bom. L. R.628.
७ - जायदादकी मरम्मतके खर्चके लिये-औरतें जायदादकी ज़रूरी - मरम्मत करानेके लिये क़र्जा ले सकती हैं और जायदादका इन्तक़ाल कर सकती हैं। यह क़र्जा जो मरम्मत के लिये लिया जायगा वह रिवर्जनर वारिस ( देखो दफा ५५८ ) को पाबन्द करेगा मगर जब ऐसा क़र्जा उस मरम्मतके