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उत्तराधिकार
[नवां प्रकरण
मंगलके वारिसको । क्योंकि अब जायदादका आखिरी पूरा मालिक अतुल था। अगर अतुलके कोई लड़का वगैरा हुआ तो वह उसका वारिस होगा और अगर लड़का न हुआ तो विधवा वारिस होगी, विधवाके मरनेपर वारिस फिर उसी तरहपर तलाश किया जायगा क्योंकि विधवाको महदूद अधिकार जायदादमें था। अब अगर तलका वारिस उसका चाचा बलवन्त होगा तो उसे मिल जायगगी, और चाचाके मरनेपर चाचाके वारिसोंको जायदाद मिलेगी क्योंकि चाचा मर्द होनेकी वजहसे सम्पूर्ण अधिकारों सहित जायदाद लेता है। दफा ५६४ मर्द जायदादका पूरा मालिक होता है
जिस जायदादका वारिस कोई मर्द होता है तो वह सम्पूर्ण अधिकारों के साथ जायदाद लेता है इसलिये वह जायदादका पूरा मालिक होता है और उसीसे अगला वारिस निश्चित किया जाता है।
जब कोई जायदाद बतौर वारिसके किसी 'औरत' को मिलती है तो वह उस जायदादपर महदूद हक्क रखती है यानी वह उस जायदादकी पूरी मालकिन नहीं मानी जाती (बम्बई और मदरासके सिवाय) और इसीलिये आगेका वारिस निश्चित करनेके लिये उस औरतसे गिनती नहीं की जायगी बक्लि आखिरी पूरे मालिकसे की जायगी। जब कोई औरत ऐसी जायदाद जो उसने बतौर वारिसके किसी मर्दसे पायी हो छोड़कर मर जाय, तो वह जायदाद चाहे उस औरतने किसी मर्दसे या किसी औरतसे पाई हो, उस औरतके वारिसको नहीं मिलेगी बक्लि जिस मर्दसे वह जायदाद चली है उस मर्दके दूसरे वारिसको मिलेगी। मगर औरतका स्त्रीधन औरतके वारिस को मिलेगा।
बम्बई प्रान्तमें कुछ औरतें ऐसी मानी गयी हैं जो जायदादको पूरे अधिकारों सहित लेती हैं इसी सबबसे उनके मरनेपर जायदाद उनके वारिसों को मिलती है। औरतका स्त्रीधन उसके वारिसको ही मिलता है। देखो प्रकरण ११ में दफा ६८२; ६८३; ६८६. दफा ५६५ बंगाल, बनारस और मिथिला स्कूलमें कितनी
औरतें वारिस मानी गयी हैं ? बङ्गाल, बनारस, और मिथिला स्कूलके अनुसार सिर्फ पांच औरते मर्द की जायदादकी वारिस मानी गई हैं। मदरास स्कूलमें इससे कुछ ज्यादा औरतें और बम्बई स्कूलमें उससे भी ज्यादा औरतें वारिस मानी गयी हैं। मदरास और बम्बई स्कूलकी औरतोंका वर्णन देखो (दफा ६४०, ६४१ ) वह पांच औरतें जिनका ऊपर ज़िकर किया गया है यह हैं-(१) विधवा (२)