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दफा ५५३]
न वट सकने वाली जायदाद
(८) बटवारा न हो सकने वाली जायदादका उत्तराधिकार
दफा ५५३ ज्येष्ठका हक़ सब जायदाद पानेका
जिस जायदाद का बटवारा नहीं हो सकता अर्थात् ऐसी जायदाद कि जिसका वारिस खानदानका सिर्फ एक ही आदमी होता है उस जायदाद का उत्तराधिकार रवाज के अनुसार या दानपत्र की या किसी लिखित की शतों के अनुसार होता है-देखो-वैकट नृसिंह अप्पाराव बनाम कोर्ट आफ वार्डस 7 I. A. 38: 6 C. L. R. 153; 24 Mat 613, जायदाद की वरासत हिन्दूलॉ के उत्तराधिकारके साधारण नियमानुसार होगी या 'प्राइमोजे निचर' ( Primogeniture देखो दफा ५५७) के नियम के अनुसार ही इस प्रश्नका निर्णय प्रत्येक मुकदमे में उसकी शहादतके अनुसार होगा, देखो-मल्लिकार्जुन महाराज बनाम दुर्गा महाराज 17 I. A. 134-144; 18 Mad. 406; 32 [. A. 261-269; 28 Mad. 608-515; 10C. W. N. 96-106, 7 Bom. L. R.907.
प्राइमोजेनिवर (दफा ५५७); उत्तराधिकारका वह नियम है कि जिस के अनुसार ज्येष्ठ पुत्रही अपने पिताकी जायदादका वारिस होता है दूसरे पुत्र वारिस नहीं होते। किसी खास रवाज के अनुसार एकही वारिसको जायदाद के मिलनेके नियम पर-बङ्गाल रिजोल्यूशन एक्ट नं०१६ सन् १७६३ ई० का कोई असर नहीं पड़ता-देखो बीरप्रताप शाही बनाम राजेन्द्र प्रतापशाही 12 M. I. A. 179 W. R. P. C. 157 29 I. A. 178; 29 Cal. 828; 7 C. W. N. 57; 4 Bom. L. R 664.
मद्रास रिजोल्यूशननं०२५सन्१८०ई०का असर नहीं पड़ता जो साधारण सनदसे जायदाद दी गयी हो । मगर सनदकी शर्तों और रवाजके अनुसार इसका बिचार होगा, देखो-काची कलियानारे गप्पा कलक्का थोला उदयार बनाम काची यूवारे गप्पा कलक्का थोला उदयार ( 1906 ) 32 I. A. 261269: 28 Mad. 508; 10 C. W. N. 95-106; 7 Bom. L. R.907; 8 I, A. 99; 3 Mad. 290; 17 1. A. 1343 13 Mad. 406; 7 I. A. 38; 14 B. L. R. 115.
पञ्चायत द्वारा बची हुई रकम ( Extra-Sum) को एक पक्षके हिस्से में लगा देना गैर कानूनी नहीं है, किन्तु एलाउन्स ज्येष्ठ भाग नहीं कहा जा सकता, बेथनाथ अय्यर बनाम एस० सुब्रह्मण्य अय्यर A. I. R. 1925 Mad. 301.