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दफा ५४१-५४२]
कानूनकी कुछ ज़रूरी दफायें
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(६) बटवारा ( Partition ) के कानूनकी कुछ
जरूरी दफायें
अदालतके द्वारा जो बटवारे होते हैं वे सब कानून वटवारा यानी पार्टीशन् एक्ट नं०४ सन् १८६३ई० की नीचे लिखी दफाओं के अनुसार किये जाते हैं । परन्तु जहां कहीं किसी गैर मनकूला जायदादके बटवारेके विषयमें कोई स्थानिक कानून हो और वह जायदाद सरकारको मालगुजारी देती हो तो उससे नीचेकी दफायें लागू नहीं होंगीदफा ५४१ बटवारेके बजाय बिक्री
(उक्त कानून बटवाराकी दफा २) "जब बटवारेके किसी मुक्नहमेमें, जो अगर इस कानून के जारी होनेसे पहिले दायर किया जाता तो उसमें बटवारेकी डिकरी हो जाती. अदालत यह देखे कि मुकदमे सम्बन्धी जायदाद इस क्रिस्मकी है कि तकसीम उचित रीतिसे और सुभीतेसे नहीं हो सकती या जायदाद के हिस्सेदारोंकी संख्याके ड्यालसे या किसी दूसरी खास वजेहसे ऐसी तक़सीम न हो सकती हो और अदालतकी यह राय हो कि तकसीम करनेके बजाय जायदाद बेचकर उसका दाम हिस्सेदारोंको बांट देना ज्यादा लाभकारी होगा तब अदालत अगर मुनासिब समझे तो किसी ऐसे हिस्सेदार की दरखास्तपर जो स्वयं या मजमूई तौरसे जायदादके एक या ज्यादा हिस्से में हक़ रखता हो, यह हुक्म देगी कि जायदाद बेचकर उसका दाम बांट दिया जाय” 4 Bom. 108 और देखो मुल्ला हिन्दूलॉ सन १९२६ ई० पेज ३४५. दफा ५४२ जब हिस्सेदार खरीदनेको तैय्यार हों
( उक्त कानून बटवाराकी दफा ३.) (१) अगर किसी मुकदमे में, जिसमें ऊपर लिखी हुई दूसरी दफाके अनुसार अदालतसे बिक्रीकी आज्ञा देनेकी प्रार्थना कीगयी हो, कोई दूसरा हिस्सेदार ऐसी प्रार्थना करनेवाले या करनेवालोंका हिस्सा या हिस्से मूल्य देकर खरीद लेनेकी मंजूरी मांगे, तो अदालत जिस रीतिसे मुनासिब समझे उस हिस्से या हिस्सोंका मूल्य मालूम करायेगी, और उसी मूल्यपर उस हिस्सेदारके हाथ बेच देगी और इस सम्बन्धमें जो कुछ हिदायते ज़रूरी और उचित समझे करेगी।
(२) इसी दफाके अङ्क १ के अनुसार जब दो या ज्यादा हिस्सेदार उस तरहपर अलग अलग खरीदनेकी मंजूरीमांगें तोजो हिस्सेदार अदालतके लगाये हुये दामसे ज्यादा दाम देगा उसीके हाथ हिस्से या हिस्सोंकी विक्री होगी।
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