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[ आठवां प्रकरण
भुवनमोहन 15 Cal. 20239 WR. CR. 61; 31 Cal 1065; 12 W. R. C. R. 409. परन्तु पोतों और परपोतोंके बीचमें बटवारा होनेके समय उसे एक पोते के हिस्से के बराबर हिस्सा मिलेगा- -31 Cal. 1065.
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बटवारा
जिस दादीके भिन्न भिन्न पुत्रोंके पुत्र हों ऐसे पोतोंके परस्पर बटवारा होने के समय दादीको हिस्सा मिलनेका यह नियम है कि यदि वे सब पोते जायदादका बराबर हिस्सा पाते तो उस एक हिस्सेके बराबर दादीको हिस्सा मिलेगा हालां कि पोतोंको जो हिस्सा मिलेगा वह इस बातपर निर्भर है कि वह अपने अपने बापके कितने पुत्र हैं और उनकी माता भी उनसे हिस्सा बटानेके लिये जीवित हैं या नहीं ।
संयुक्त प्रांत में पोतों के परस्पर बटवारा होनेके समय दादीका हिस्सा नहीं माना गया है, देखो - राधा बनाम बच्चामन (1880) 3 All. 118 शिवनारायन बनाम जानकीप्रसाद ( 1912 ) 34 All. 505 दादी बटवारा नहीं करा सकती ।
आजी (Grand mothr ) का अधिकार - कन्हैयालाल बनाम मुब nter 83 1. C. 147; L. R. 6 All. 1; 47 All.127;A.I.R.1925All.19. दफा ५१६ बटवारे के समय परदादीका हिस्सा
हिन्दूलों में बटवाराके समय विधवा परदादीका हिस्सा नहीं माना गया, परन्तु यदि कोई माने तो वही सूरत होगी जो मा और दादी के अधिकार में होती है जैसा कि ऊपर कहा गया है ।
दफा ५१७ बटवारे के हिस्से में स्त्रीधनका मुजरा होना
विधवाको हिस्सा देते समय यह देख लिया जायगा कि उसको उसके पति या ससुरसे कोई जायदाद आदि मिली थी या नहीं । यदि मिली हो तो उतनी जायदादका मूल्य कम करके उसे हिस्सा दिया जायगा, देखो - किशोरी मोहन घोष बनाम मनीमोहन घोष 12 Cal. 165. जदुनाथदेव सरकार बनाम वजनाथदेव सरकार 12 B. L. R. 385.
देखो - याज्ञवल्क्यके श्लोक १२४ व्यव० का टीका करते हुये मिताक्षरा करा कहते हैं
पितुरूर्ध्वं पितुः प्रयाणादूर्ध्वं विभजतां मातापि स्वपुत्रांशसमं अंशं हरेत् यदि स्त्रीधनं न दत्तम् । दत्ते स्वर्धाशहारिणीति वक्ष्येत् ।