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दफा ५०६-५०७]
बटवारेके साधारण नियम
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C. W. N. 658; 6 B. L R. 134; 31 Bom. 360. तथा यह बठवारा इस तरहसे करना योग्य होगा कि रिवर्ज़नरके हकपर कोई बुरा असर न पड़ेपालकुंवर बनाम पंवासकुंवर 8 C. W. N. 658; 9 Cal. b80.
स्त्रियोंका इस तरहका बटारा सिर्फ दायभाग स्कूलमें होता है मिताक्षरा स्कूलमें ऐसा तभी होगा जबकि पिता या पतिने अपनी अलग कमाई हुई कोई जायदाद छोड़ी हो या पिता या पतिके मरनेके बाद कोई कोपार्स. नर जीवित न रहा हो या शायद ऐसे मामलेमें भी जिसमें कि बटवारा करते . समय पत्नियोंको भी हिस्सा दिया गया हो।
जबकि विधवा या लड़की बटवारा करानेकी हक़दार हो तो उसके हिस्सेका खरीदार भी वैसाही अधिकार रखता है, देखो-जानकीनाथ मुखोपाध्याय बनाम मथुरानाथ मुखोपाध्याय 9 Cal. 580; 12 Cal. L. R. 215.
जबकि हिन्दू विधवा बटवारेकी हकदार हो और यह भय हो कि वह अपने हिस्सेकी जायदाद खराब कर डालेगी तो अदालत बटवारेकी डिकरी देते समय कोई ऐसा प्रबन्ध अवश्य कर देगी कि जिससे जायदादकी रक्षा होवे तथा रिवर्ज़नरोंके हकमें नुकसान न पहुंचे, देखो-दुर्गानाथ प्रमाणिक बनाम चिन्तामणिदासी 31 Cal. 214, 8 C. W. N. 11; 9 Cal. 580; 12 Cal. L. R. 215.
जब कोई विधवा बटवारेका दावा करे तो अदालतको अधिकार है कि वह दावे को सुननेसे इनकार करदे और अगर वह चाहे तो सुने, देखोमहदेयी कुंवर बनाम हरखनरायन 9 Cal. 244 P. 250; 2 Col. 262.
नोट-अदालत बहुत करके विधवाक दावेको नहीं सुनेगी और खास कर पुत्र रहित विधवा के दावे को विल्कुल नहीं मुनेगी । बनारस स्कूलमें विधवा, लड़की, मां, दादी और परदादी बटवारा नहीं करासकतीं और जिस स्कूलमें ऐसा माना गया है वहां एक थोड़े से हिस्साके ख्यालसे प्रायः अदालत बटवारे से इनकार कर देती है। दफा ५०७ नाबालिग कोपार्सनर
जब कोई कोपार्सनर नाबालिग हो और यह देखा जाय कि जायदादके मुश्तरका रहनेसे उसका नुकसान होता है। मसलन इस तरह कि दूसरे कोपासनर जायदाद खराब करते हों या नाबालिग्रके विरुद्ध अपना कोई हक कायम करते हों या उसके पालन पोषणका खर्चा देनेसे इनकार करते हों या और किसी सूरतमें जबकि बटवारेमें ही नाबालिग्रका फायदा देखा जाता हो तो उसकी तरफसे बटवारेका दावा उसके बापके विरुद्ध भी किया जा सकता है। देखो--8 Cal. 537; 10 C. L. R. 402, 19 Bom. 99; 12 Mad. 401; 25 W. R. C. R. 497. भोलानाथ बनाम घासीराम 29 All. 373.