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मुश्तरका खान्दान .
[छठवां प्रकरण
नहीं हो सकती-ऊदराजसिंह बनाम झ्यामलाल 93 I. C. 385 (1); A. I. R. 1926 All. 338.
संयुक्त-जहांपर, कोई क़र्ज, जो परिवारके लाभके व्यवसायके लिये, लिया गया बताया गया हो, यह साबित हो कि वह उस तात्पर्यके लिये नहीं लिया गया, तो हिस्सेदार उसके जिम्मेदार न होंगे-रामगोपाल बनाम फर्म भानराम मङ्गलचन्द 94 I. C. 163. दफा ४५० मुश्तरका जायदादके ख़रीदारके हक़
(१) जब किसी आदमीने मुश्तरका खान्दानके किसी आदमीका मुश्तरका जायदादका हिस्सा अदालतकी किसी डिकरीके नीलाममें खरीद किया हो, इससे खरीदारको यह हक प्राप्त नहीं है कि मुश्तरका जायदादके किसी खास हिस्सेको अपने कब्जे में रखे, देखो-ऊदाराम बनाम रानू ।। Bom. H. C. 76. पांडुरंग बनाम भास्कर 11 Bom. H. C.72 पालानी बनाम मासाकोरम् 20 Mad. 243. एक मुक़द्दमें में खरीदार ने जायदाद पर कब्ज़ा कर लिया था और बादमें उसे इन्तकाल भी कर दिया था, देखो-पटेल धनाम हुक्मचन्द्र 10 Bom. 363.
जब किसी श्रादमीने मुश्तरका जायदादका हिस्सा अदालतके नीलाममें खरीद किया हो तो वह जायदादपर क़ब्ज़ा नहीं कर सकता बल्कि वह अदा. लतमें मुश्तरका जायदादके बटवारा करा पानेका दावा कर सकता है, बटघारा होनेके बाद खरीदार अपने खरीदे हुये हिस्सेपर कब्ज़ा व दखल करेगा, बटवारा कराने में अगर कोई कोपार्सनर राजी न हो तो खरीदार उसे या उन सबको मजबूर कर सकता है और बटवारा करा सकता है। देखो-दीनदयाल बनाम जगदीपनरायन 3 Cal. 198; 4 I. A. 247; 10 Cal.626;11 I.A.26.
हिस्सेपर डिकरी-किसी संयुक्त खान्दानके किसी हिस्सेदारका महाजन डिकरीकी तामीलमें मुश्तरका जायदादके उस सदस्यके हिस्सेको नीलाम करा सकता है और उसे खरीद सकता है किन्तु महाजनको उसपर काबिज़ होनेका अधिकार नहीं है। उसे यह अधिकार प्राप्त हो जाता है कि वह उस सदस्यके हिस्सेका बटवारा करावे किन्तु उसे यह अधिकार नहीं होता कि उस खान्दानके दूसरे सदस्योंके साथ उस जायदादपर दखल करे, मेंडीप्रसाद सिंह बनाम नन्दकेश्वरप्रसादसिंह 85 I. C. 1014; 6 Pat. L.J. 742; A. I. R. 1923 Patna 451.
परिवारकी जायदादकी विशेष मदोंका इन्तकाल-इन्तनालकी जाय. दादमें अपने भागकी प्राप्तिके लिए अन्य सदस्य द्वारा नालिश और उसमें उसके पक्षकी डिकरी-बादको मुन्तकिलअलेह द्वारा आम बटवारे और अपने