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________________ मुश्तरका खान्दान [छठवां प्रकरण तय हुआ कि यद्यपि खान्दानके अलाहिदा हो जाने के बाद मुन्तज़िम द्वारा ऐसे प्रामिज़री नोटोंके नये किये जानेकी, जो तमादी होगये थे, जिम्मेदारी खान्दानके दूसरे सदस्योंपर नहीं है, यद्यपि खान्दानके दूसरे आदमीन्या. यानुसार उनके अदा करने के लिये बाध्य हैं -विश्वशङ्कर नारायन अय्यर बनाम कासी अय्यर 21 L. W. 25; 86 I. C. 225; A. I. R. 1925 Mad.453. - उदाहरण-ऐसा मानो कि महेश, शिव, और रामनाथ तीन हिन्द भाई मुश्तरका हिन्दु खान्दानके मेम्बर हैं और मिताक्षराला के पाबन्द हैं। शिव और रामनाथ महेशकी ज़िन्दगीमें मर गये अब महेश अकेला मुश्तरका खान्दानका आखिरी कोपार्सनर हुआ। महेश एक वसीयतके जरियेसेरामदत्त को मुश्तरका खान्दानकी जायदाद देकर मर गया उसने एक विधवा और एक लड़की छोड़ी, महेशकी विधवा जबकि महेश मरा था गर्भवती थी पीछे उसके एक लड़का पैदा हुआ तो वही लड़का सरवाइवरशिप के द्वारा उससब जायदादका मालिक होगा जो रामदत्तको वसीयतके ज़रियेसे दीगई थी। रामदत्तको कुछ भी नहीं मिलेगा, और अगर वसीयतके बाद और बापके मरने से पहिले लड़का पैदा हो जाता तो भी यही सूरत रहती। इसी क्रिस्मकामुकएमा, देखो-हनुमन्त बनाम भीमाचार्य 12 Bom. 105, 109, 110 मुश्तरका खानदानकी जायदादके लाभ अर्थात मुनाफेका इन्तकाल दफा ४४६ मुश्तरका जायदादका दान करना या वसीयत द्वारा दान करना जिन प्रान्तोंमें कि मिताक्षराला माना जाता है वहांपर कोई भी कोपा. सनर मुश्तरका खान्दानकी जायदादके मुश्तरका लाभको न तो दानके द्वारा और न वसीयतके द्वारा किसीको दे सकता है; देखो-बाबा बनाम टिम्मा 7 Mad. 357. पुन्नूसामी बनाम थाथा 9 Mad. 273. रामअन्ना बनाम वेंकट 11 Mad. 246. रोहाला बनाम पुलीकर 27 Mad. 162, 166. ऊदाराम बनाम रानू 11 Bom. H. C. 76. बिन्द्रावनदास बनाम जमनाबाई 12 Bom. H. C. 229. कालू बनाम बारसू 19 Bom. 803. विटलावुहन बनाम यामेन अत्रा 8 Mad. H. C. 6. लक्षमण बनाम रामचन्द्र 5 Bom. 48; 7 I. A. 181; 29 Bom. 351.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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