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दफा ४२०-४२१ ]
की उच्च शिक्षा प्राप्त की थी तो माना गया कि उस लड़केने स्वयं यह शिक्षा प्राप्त की थी इसलिये यह भी माना गया कि ऐसी सूरत में उस ज्योतषीकी आमदनी उसकी खुद कमाई हुई अलहदा जायदाद है देखो - दुर्गादत्त बनाम गनेश दत्त ( 1910 ) 32 All 305.
अलहदा जायदाद
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बंबई हाईकोर्टके, लक्ष्मण बनाम जमुना बाई ( 6 Bom. 225 ) वाले मुकद्दमें में जज मेल्विल् साहेबने कहा है कि - "जो वचन हमारे सापने पेश किये गये हैं उनसे हमारी राय में हिन्दूलॉ के अनुसार यह सिद्ध होता है कि अगर मुश्तरका खान्दानके खर्च से या उस समय जबकि खान्दानके खर्च से किसी आदमी का भरणपोषण होता हो ऐसी दशा में विद्वत्ता प्राप्त की गई हो तो विद्वत्ताका फल बांटा जासकता है लेकिन अगर वह विद्वत्ता किसी ऐसे आदमी के खर्च से प्राप्त की गई हो जो मुश्तरका खान्दानके बाहरका है तो उस विद्वत्ता का फल बांटा नहीं जासकता परन्तु फिर भी यह सवाल बाक़ी रहता है कि उन बचनों में जो मेरे सामने पेश हैं 'विद्वत्ता' शब्दसे क्या मतलब समझना चाहिये, अर्थात् इस समय में इस शब्द से साधारण प्रारंभिक शिक्षा समझी जाय या किसी खास पेरों की खास शिक्षा; हमारी राय यह है कि अगर हम 'विद्वत्ता' शब्दका अर्थ साधारण शिक्षा न मानकर खास तौरकी विद्वत्ता माने तो यह हिन्दू शास्त्रों और आधुनिक हिन्दू समाजके विरुद्ध नहीं होगा" देखो दफा ४१८.
नोट- -यह बात अन्य फैसलोंमें मानी गई है कि साधारण शिक्षासे खास शिक्षा अलग हैं अगर खास शिक्षा (विद्वत्ता ) दूसरे तरह से हो तो उसकी आय अलहदा समझी जायगी.
दफा ४२१ बीमाका रुपया
( १ ) बीमा - जब कोई आदमी अपने बापके रुपया के लिये अपनी अलहदा आमदनी से बीमें ( Insurance ) को क़िस्त देता हो तो वह रुपया उसकी अलहदा जायदाद होगी, देखो - राजाम्भा बनाम रामकृष्ण नैय्या 29 Mad. 121.
( २ ) क़ब्ज़ेसे निकल गयी हुई मौरूसी जायदादकी पुनः प्राप्ति - कितही मामलों में ऐसा होता है कि किसी मुश्तरका खान्दानके लोग अनुचित रीति से अपनी मुश्तरका जायदाद से बेदखल कर दिये जाते हैं या बहुत दिनों तक उनको उस मुश्तरका जायदादपर दखल नहीं मिलता और ऐसी जायदाद को पीछे किसी समय उस मुश्तरका खान्दानका कोई आदमी मुश्तरका सम्पत्तिकी सहायता बिना पुनः प्राप्त कर लेता है। ऐसे मामलोंमें अगर बाप ने वह जायदाद पुनः प्राप्त करली हो तो वह जायदाद चाहे वह मनकूला हो या गैर मनकूला उसको वह अपनी अलहदा या अपनी कमाई हुई जायदाद