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मुश्तरका खान्दान
[ छठवां प्रकरण
मियाद उस तारीख से शुरू होगी कि जिस तारीखको इनकार किया गया हो कि जायदाद मुश्तरका नहीं है; देखो जोगेन्द्रनाथ बनाम बल्देवदास (1907) 35 Cal. 961. वैद्यनाथ पैय्यर बनाम ऐय्यासामी पैय्यर ( 1908 ) 32 Mad. 191. शफुन्निशा बीबी चौधरानी बनाम कैलाशचन्द्र गंगोपाध्याय 25 W, R. C. R. 53. रखलदासबन्दो पाध्याय बनाम इन्द्रमनी देवी ( 1877 ) 1 Cal L. R. 155.
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(२) कोपार्सनरका दूसरा हक़ मुश्तरका जायदाद में यह है कि वह अपना और अपने बच्चोंका तथा उन आदमियों और औरतों का खाना पीना जो उसके ऊपर निर्भर है, मुश्तरका खानदानकी जायदादमें सेले सकता है। देखो - पैय्यावू मुपानार बनाम नीलादखी अमल. 1 Mad. H. C. 45; 12 Bom. H. C. 96. एवं लड़कोंके शिक्षणका खर्च और लड़कियोंकी शादीका खर्च भी ले सकता है देखो - वैकुंटम् अम्भानगर बनाम - कालापिरान पैय्यनगर (1900) 23 Mad. 512. और उचित तथा आवश्यक धार्मिक कृत्योंके खर्चके लिये भी ले सकता है । देखो - भट्टाचार्यके ज्वाइन्ट फैमिली लॉ पेज 277. सब क्रिस्मके खर्च खानदान और जायदाद की स्थिति तथा हैसियतके अनुसार योग्य समझे जायेंगे ।
(३) कोपार्सनरका तीसरा हक़ मुश्तरका जायदादमें यह है किवह अपने मुश्तरका खानदानकी जायदाद के मेनेजर ( प्रबन्धक) से सब किस्म के हिसाबात और हालतें पूंछ सकता है, और जायदाद बेचने या रेहन करने श्रादि बड़ी बड़ी बातोंमें अपना मत दे सकता है ।
( ४ ) कोपार्सनरका चौथा हक़ मुश्तरका जायदादमें यह है कि अगर किसी कोपार्सने ऐसा कोई काम किया हो जो उसके अधिकारसे बाहर है तो उस काम के बारेमें आपत्ति ( रॉक टोंक) करनेके लिये, तथा उस कामका करना अयोग्य है इस बातके क़रार दिये जानेके लिये अदालतमें मुकद्दमा दायर कर सकता है । देखो - सूर्य्यवंशी कुंवर बनाम शिबप्रसादसिंह 6 I. A. 88, 101; 5 Cal. 148, 165; 4 Cal. L. R. 226. अनन्त रामराव बनाम गोपाल बलवन्त ( 1894 ) 19 Bom. 269 गनपति बनाम अन्नाजी ( 1898 ) 23 Bom. 144. रामचन्द्र काशी पाटंकर बनाम दामोदर त्र्यंबक पाटंकर - 20 Bom. 467; 13 W. R. C. R.322, 323.
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( ५ ) कोपार्सनरका पांचवां हक़ मुश्तरका जायदादमें यह है किहर एक कोपार्सनर अपनी इच्छा के अनुसार मुश्तरका खानदानकी जायदाद का बटवारा करा सकता है । मगर जहांपर मिताक्षराला माना जाता है वहां पर बापके जीते जी पौत्र ( पोता ) पितामह ( दादा ) से बटवारा नहीं करा सकता, इसी तरहपर जब बाप अथवा पितामह दोनों या दोनोंमें से कोई एक भी ज़िन्दा हो तो प्रपौत्र अपने प्रपितामहले बटवारा नहीं करा सकता -