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हालकी नज़ीरें ]
गार्जियन एण्ड वाईस
जजने गार्जियन एन्ड वार्ड्स एक्टकी दफा ३२ के अनुसार कुछ हिदायतें देकर ट्रस्टको मंसूख कर दिया ।
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निगरानी में यह तय हुआ - - (१) कि डिस्ट्रिक्ट जजका प्रस्तुत ट्रस्टियों के खिलाफ़ ट्रस्टके मंसूख करनेका हुक्म न्यायाधिकारके बाहर है (२) गार्जियन एण्ड वार्ड्स ऐक्ट के अनुसार दिया हुआ हुक्म किसी तीसरे फ़रीक्रको जायदाद के क़ब्ज़े में पाबन्द नहीं कर सकता । डिस्ट्रिक्ट जज किसी तीसरे फ़रीक़को, जो किसी गलत या सही तरीक़े पर जायदादपर क़ाबिज़ है क़ब्ज़े से नहीं हटा सकता, किन्तु वलीको जायदादके हासिल करनेकी कार्यवाही करनेके लिये हिदायत कर सकता है । हरवंशसिंह बनाम राजेन्द्र 47 All. 313; 23 A. L. J. 28; 85 I. C. 1087; L. R. 6 A. 162; A. I. R. 1925 All. 277.
- गा० दफा ३४ ( डी ) -- इस दफाके आधीन हुक्म - उसकी सीमा - रामाजुलू रेड्डी बनाम रंगप्पा रेड्डीया 94I. C. 79.
-- गा० दफा ३४ (डी) ४३ (१) और ४७ -- गार्जियन एण्ड वार्डस ऐक्ट की दफा ३४ द्वारा अदालतको यह अधिकार नहीं प्राप्त होता, कि वह किसी वलीको, उस रकमसे अधिक अदा करनेके लिये, जो उसके द्वारा पेश किये हुये हिसाब में बतायी गई है, हुक्म दे । दफा ३४ (डी) के यह शब्द 'उन हिसाबों' में केवल अतिरिक्त शब्द न समझे जाने चाहिये। किसी नाबालिग के सम्बन्धीकी अर्जीपर डिस्ट्रिक्ट जजने अदालत द्वारा नियत किये हुये वली को, हिसाब पेश करनेका हुक्म दिया। इसके पश्चात् जजने उस हिसाबकी जांचकी, और यह तय किया कि वली द्वारा दये धन, उस रकमसे अधिक है जो उसने हिसाब में बताया है । इसपर अदालतने उसे हुक्म दिया कि वह उस रकमको जो इस प्रकार वाज़िबुल अदा पाई गई है जमा करे ।
तय हुआ कि वह हुक्म ऐसा हुक्म था, जो दफा ४३ (१) के आधीन दिया गया था न कि दफा ३४ (डी) के अनुसार, अतएव अपील के योग्य है । पेशकी हुई नज़ीरों में से 67 I. C. 309 की नजीर 25 O. L. I. 149 और 46. All. 458. से विरुद्ध है ।
तज़वीज़ जिमनी - जब वली द्वारा हिसाब पेश किये जानेके कारण, वलीपर पाबन्दी की कार्यवाही निर्णय बिषय बनादी जाती है तब मुनासिब मार्ग मह है कि दफ़ा ३५ या दफ़ा ३६ के आधीन अदालतमें अर्जी दी जाय और इसके पश्चात् वलीके विरुद्ध एक नियमपूर्ण नालिशकी जाय । हरीकृष्ण चेटीयर बनाम गोबिंद राजलू नैकियर 23 L. W. 420 : ( 1926 ) M.W N. 359; A. I. R. 1926 Mad. 478; 50 M. L. J. 273.