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नाबालिगी और वलायत
[पांचवा प्रकरण
आधे रुपया अपने खाने पीने वगैरा में खर्च किये थे तीनों लड़कों में से एक बालिग्न हुआ और उसने श्रीहर्ष पर नालिश की, इस बात की कि उसकी जायदाद जो माने बेची थी दिला मिले। अदालत ने श्रीहर्ष का बैनामा रद्द कर दिया अर्थात् दावा डिकरी हुआ श्रीहर्ष को कुछ भी रुपया नहीं दिलाया गया। पांच सौ रु० वह भी नहीं दिला मिले जो माने लड़कों के बाप के करजे की डिकरी में दिये थे जो क़रज़ा कि पति यानी कृष्ण की छोड़ी हुई जायदाद को पावन्द करता था, और इस लिये लड़के भी पावन्द थे देखो नाथू बनाम बलवंतराव 27 Bom. 390. दफा ३५९ वलीकी तरफसे किसी करजेका मान लियाजाना ___मद्रास हाईकोर्टने यह तय कियाहै कि अज्ञानका कुदरती वलीऔर वह गार्जियनपन्ड वार्ड्सऐक्ट नम्बर ८सन्१८६०के अनुसार नियत किया गया हो, अज्ञान की जायदाद के लिये या रक्षा के लिये किसी क़रज़े को मंजूर कर सकता है या उसका ब्याज दे सकता है इस वास्ते कि क़ानूनी मियाद का समय और बढ़ जाय । लेकिन जो क़रज़ा क़ानूनी मियाद से बाहर हो चुका है उस को वह फिर से ताज़ा नहीं कर सकता; देखो- अन्नापगावदा बनाम सङ्गादिग अप्पा 26 Bom. 221; 234; सोमानन्द्री बनाम श्रीरामुलूम 17Mad 221; सुबामनिया बनाम असमुगा 26 Mad. 330.
विधवा अपने पति का क़रज़ा अदा करने की मजाज़ मानी गयी है क्योंकि विधवा का धार्मिक फर्ज़है कि अपने पति का क़रज़ा अदा करे। मगर यह करार दिया गया है कि अगर कोई मेनेजर हिन्दू परिवार का अपनी इसी हैसियत से बिला किसी खास अधिकार के उस करजे को स्वीकार करके ताज़ा नहीं बना सकता जो पहिले कानूनी मियाद से बाहर हो चुका हो, देखो-चिनाया बनाम गुरुनाथन 5 Mad. F. B. 169; भास्कर तांतिया बनाम विजलाल नाथ 7 Bom. 512.
कलकत्ता हाईकोर्टके अनुसार कुदरती वली या वह वली जो गार्जियन ऐन्ड वाईस एक्ट नम्वर ८सन १८६० के मुताबिक नियत कियागया हो,किसी क़रज़ का सूद नहीं दे सकता जिससे कानूनी मियाद बढ़ जाती हो और न वह कोई क़रज़ा मंजूर कर सकता है और नकिसी क़रज़े को अपनी मंजूरी से ताज़ा बना सकता है; देखो-बाजिवन बनाम कादिरबख्श 13 Cal. 2929 295; चत्तूराम बनाम बिल्टूअली 26 Cal.51,52. दफा ३६० अज्ञानने अपनी उमर जब झूठ बताई हो
किसी आज्ञान ने दूसरे आदमी को यह धोका दिया हो कि मैं बालिग हूं या मेरी उमर बालिरा होने तक पहुंच चुकी है, और ऐसा मानकर कोई