________________
३४०
दत्तक या गीद
दफा ३२९ मिस्टर, ए, ओ, ह्यूम साहेबकी राय
यह जाति हिन्दुस्थानकी जातियों में से एक अतीव वैभवशाली वैश्य वर्ण की जाति है, और उत्तर, उत्तरपश्चिम तथा मध्य भारतमें निवास करती है । यह जाति धन और प्रतिष्ठा से गौरवान्वित होकर अपनेको एकमात्र सच्ची वैश्य जाति मानती है । पण्डित लोग भी इसके विरुद्ध कोई बात नहीं उठाते इस जाति की उत्पत्तिकी कथा बहुत प्रसिद्ध है । काशीधाममें निवास करने वाले इस जातिके चौधरी अर्थात् अगुवाने मुझे इस सम्बन्ध में इस प्रकार लिखा है
[ चौथा प्रकरण
-
अग्रवालोंकी जाति पहले पहल गोदावरी नदी के किनारों परसे आई, इनके आदि पूर्वजका नाम 'धनपाल' था उनके मुक्तानाम्नी एक कन्या भी थी, जिसका विवाह याज्ञवल्क्य के साथ हुआ । ईश्वरकी कृपासे मुक्काके आठ पुत्र हुये जिनके नाम यह हैं ( १ ) शिव, ( २ ) नल, (३) अनिल ( ४ ) नन्द, ( ५ ) कुन्द, ( ६ ) कुमुद्, (७) वल्लभ, (८) शेखर । इन्हीं पुत्रोंकी सन्तानोंके वंशज हिन्दुस्थानमें चारों ओर फैल गये, कुछ गुजरात तक भी चले गये, समय के हेर फेरसे इसने धीरे धीरे अपनी जातिके अचार विचार एवं रीति भूल कर शूद्रोंके साथ सम्बन्ध कर लिया। केवल इनके एक पुत्र अपने धर्मपर आरूढ़ रहे । उनका नाम उग्रसेन या अग्रसेन था । कोई कोई उनको उग्रनाथ या उग्र भी कहा करते थे । वर्तमान अग्रवाल जाति इन्हीं मनुष्य से पैदा हुई है । यह जाति उग्रसेनको अपना जन्मदाता और पूर्वज बतलाती है । उग्रसेन अपनी पत्नी माधवी के साथ श्राग्रोहे में निवास करने लगे। यह नगर अब तक छोटेसे कसबेके रूपमें हरियानेकी सीमामर विद्यमान है। यहां पर उनका परिवार बढ़ा और बड़ा धनशाली तथा प्रतापी हुआ। बौद्धों और हिन्दुओंके झगड़ोंके समय सहस्त्रों अग्रवाल मारे गये, बहुतोंने प्राण रक्षा की हेतु बौद्ध धर्म भी स्वीकार कर लिया, जब बौद्धों और हिन्दुओं का घोर युद्ध समाप्त हुआ । तब इन अग्रवालोंने जो भारत के कई प्रांतों में फैल गये थे अपना बहुत कुछ सुधार कर लिया। इस समय यह जाति एक बार फिर पूर्ववत् धन, धान्य, तथा बैभवशाली बन गयी ।
सर हेनरी इलियट ने इनके विषय में अपने शब्दसंग्रह के अधिक भाग में कुछ बिरुद्ध लिखा है । आपने बताया है कि सहाबुद्दीन द्वारा आनोहा लिये जाने पर अग्रवाल वहां से हिन्दुस्थान के समस्त भागों में फैल गये । काशी निवासी इस जाति के प्रधान नेता हैं। प्रसिद्ध इतिहास वेत्ता बाबू हरिश्चन्द्र जी ने लिखा है कि इस जाति के पूर्वजों पर उक्त शहाबुद्दीन गोरी अग्रोहा में भयंकर आक्रमण किया था, इसी कारण अग्रवालों ने वहां से भाग कर भारत के अन्याय सुरक्षित स्थानोंमें निवास किया । मुसलमानों के आक्रमण से इस जाति को बहुतक्षति पहुंची और बहुत सी स्त्रियां सती हो