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दफा ३१०-३१२]
कृत्रिम दत्तक
पति की जिन्दगी में अपने लिये दत्तक ले सकती है। और पति के मरने पर भी ले सकती है। पति और पत्नी शामिल शरीक होकर तथा अलहदा अलहदा दराक ले सकते हैं । अगर कोई सधवा स्त्री अपने लिये लड़का ले लेवे तो वह लड़का उसका क्रियाकर्म करता है तथा उसके बेटे की तरह माना जाता है और सिर्फ उसकी जायदाद का वारिल होता है। लकिन वह उसके पति का पुत्र नहीं कहलाता और न उसकी जायदाद पाता है और न उसका क्रियाकर्म कर सकता है जब पति और पत्नी शामिल शरीक किसी लड़के को दत्तक लेते हैं तो वह लड़का दोनों का बेटा होता है और दोनों की क्रियाकर्म करता है तथा दोनों की जायदाद पाता है। जब पति ने अपने लिये किसी एक लड़के को लिया हो और पत्नी ने दूसरा लड़का अपने लिये लिया हो तो दोनों अपने अपने ( लेने वाले के ) लड़के कहलाते हैं तथा अलग अलग क्रियाकर्म करते हैं तथा अपने अपने गोद लेने वाले की जायदाद पाते हैं यानी पति की जायदाद पति का लड़का एवं स्त्री की जायदाद सीका लड़का पाता है।
कृत्रिम पुत्र लेने का तरीका बड़ा अद्भुत जान पड़ता है क्योंकि देखो दफा ३०६ का पैरा २,३ जब एक ज़ातका कोई भी लड़का किसी उमर का दत्तक लिया जा सकता है तो.बाप.को लड़का भी गोद ले सकता है, तथा ससुर को बहू भी गोद ले सकती है । इसी लिये यह दत्तक अद्भुत प्रतीत होता है जो हो कानून ने ऐसा ही माना है। दफा ३११ कृत्रिम दत्तकके सम्बन्धमें कानून और नज़ीरें देखो
मिस्टर मेन हिन्दुलॉ पैरा २००-२०६, घारपुरे हिन्दुलॉ पेज १० मुल्ला हिन्दूलॉ पेज ४११ ट्रिलियन्स हिन्दूलॉ पेज १५६-१६१ तथा पेज २०५ २०६ , सरकार का हिन्दूला चोथा' एडीशन पेज १८० -१८१ , नज़ीरें देखो कलक्टर आपतिरहुत बनाम हूरो प्रसाद 7 Juth W. R. 500; 11 M. I. L. R. 174, 176; लछिमन बनाम 16 Suth. 179. दफा ३१२ जफनाद्वीपमें कृत्रिम की तरह का दत्तक
जफना द्वीप, सीलोन यानी लङ्का द्वीप के उत्तर-पश्चिम किनारेपर है, जो मद्रास प्रांतके दक्षिणी किनारेके सामने पड़ता है। सन् १६०१ ई० को मर• दुमशुमारी के समय इस द्वीप में ४३०६२ जन संख्या थी । यह छोटा सा द्वीप है और सीलोन में शामिल है। इस द्वीप के निवासियों में कृत्रिम दत्तक की तरह की एक रवाज लड़का लेने की है, उस में भी मज़हबी रसूम नहीं है, और लड़के का हक लड़का लेने वाले की जादाद पर होता है। उसका वारिस वही होता है। देखो मेन हिन्दूला पैरा २०६.