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दफा २६०-२६३]
दत्तक सम्बन्धी अन्य ज़रूरी बाते
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दफा २९१ पंजाबमें दत्तकपुत्र असली बापका धन पाता है
पजाब प्रांतमें अगर दत्तक पुत्रका असली बाप बिला औलादके मर जावे तो वहां की रवाज के अनुसार दत्तकपुत्र अपने असली बापकी जायदाद पाता है और दत्तक लेनेवाले पिताकी भी-देखो, पञ्जाब कस्टम पेज ८१ तथा पंजाब कस्टमरीलॉ जिल्द ३ पेज ८३.
दत्तक लेनेका द्वामुष्ययन तरीक़ा पञ्जाब में अतीव अज्ञात है। केवल यह बात कि अमुक व्यक्ति गोद लिया गया था यह अर्थ रखता है कि उस का गोद लिया जाना दत्तक तरीके पर था पहिली अवस्था में यह खासतौर पर साबित किया जाना चाहिये कि कुदरती खानदान का सम्बन्ध शेष है और इस के साधित करने का भार उस व्यक्ति पर होगा, जो इस को स्थापित करेगा। मोहनलाल बनाम माला मल 89 I. C. 688 (2); A. I. B. 1925 Lah. 623. दफा २९२ पांडीचरी में दत्तकपुत्रको, बाप और भाईकी जायदाद
मिलती है पांडीचरीमें दत्तकपुत्रका असली बाप तथा भाई जब लावल्द मरजाय तो दत्तकपुत्र अपने बाप, और भाईकी जायदाद पाता है । यह बात फ्रान्सीसी कानूनके अनुसार तयकी गई है।
राजपूताना, मध्यभारत तथा संयुक्तप्रांत में द्वामुष्यायन दत्तक कभी कभी अब भी होते हैं मगर यह पृथा अब बहुत शिथिल होगई है । मदरास प्रांतमें कई एक क़ौमोंमें आम मानी जाती है।
(ख) दत्तक सम्बन्धी अन्य जरूरी बातें
दफा २९३ दत्तक नाजायज़ होनेपर, दत्तक पुत्रका बिचार
यह आम बात है कि, जब दत्तक असली कुटुम्बसे दे दिया जाता है तब उसका असली कुटुम्बमें कोई हिस्सा जायदादका बाकी नहीं रह जाता (सिवाय उस सूरतके जो पहिले-द्वामुष्यायन दत्तकमें बताया गया है) और जब अदालतसे दत्तक नाजायज़ क़रार पाजावे तो दत्तक पुत्रकाकोई अधिकार गोद लेनेवाले कुटुम्ब में नहीं रहताः ऐसी सूरतमें दत्तक पुत्र दोनों कुटुम्बोंसे. छूट जाता है; यह एक कठिन एवं जटिल प्रश्न है कि जब दत्तक नाजायज़ हो
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