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दत्तक या गोद -
[चौथा प्रकरण
वाले हैं। किसी शूद्र के दत्तक पुत्र और गैर कानूनी पुत्र के मुताबिले में, इस बिना पर कि गैर कानूनी पुत्र के जन्म के बाद गोद लिया गया था यह फैसला करना कि दत्तक नाजायज़ है और इसी बिना पर यह तय करना कि नाजायज़ दत्तक पुत्रके मुक़ाबिलेमें गैरकानूनी पुत्र सम्पूर्ण सम्पत्तिका अधिकारी है और इस प्रकार जायदाद गैरकानूनी पुत्र और दत्तक पुत्र में इस प्रकार बांट देना कि दोनों को आधी २ मिल जाय, न्यायपूर्ण नहीं है। इस अवस्था में यह निश्चय किया जाना चाहिये कि दत्तक पुत्र के वही अधिकार हैं जो स्वाभाविक पुत्र के । फिर यह मानकर कि गैर कानूनी पुत्र कानूनी पुत्र है और वे स्वाभाविक पुत्रों के साथ रह सकते है। यह देखना चाहिये कि इस प्रकार उनको जायदाद में कौनसा हिस्सा मिलना चाहिये तब उस हिस्से का आधा उन्हें दिला देना चाहिये । महाराजा कोल्हापुर बनाम एस सुन्दरम् अय्यर 48 Mad. 1; A. I. R. 1925 Mad. 497. वफा २५९ दत्तक पुत्र दादाके चचेरे भाईका तथा सपिण्डोंका
वारिस होता है दत्तक पुत्र अपने गोद लेनेवाले बापके पिताके चचेरे भाईकी जायदाद का पारिस है । अर्थात् दत्तक सम्बन्धसे दादाके चचेरे भाईका वारिस होता है-तारामोहन बनाम कृपामई 9 Suth. 423; दत्तक पुत्र गोद लेनेवाले पुरुष का वारिस तो होताही है मगर नीचेके मुकदमेमें यह मानागया कि दत्तक पुत्र तमाम सपिण्डोंका वारिस होता है--पद्मकुमारी बनाम जगतकिशोरी 5 Cal. I. L. R. 615; यह फैसला प्रिवीकौंसिल में भी बहाल रहा देखो-सबनी. मनी पद्मकुमारी बनाम कोर्ट आफ वार्डस 8 I. A. 229; S. C. 8 Cal. 320. दफा २६० दत्तक पुत्र नानाका वारिस होता है
दत्तक पुत्र गोदलेनेवाली माता के खानदान का वारिस होगा यानी माना की सम्पत्ति का वारिस होगा इस विषय में अनेक लोगोंका मत कुछ मिन्न २ होने पर भी आखिरीमें एक ही है। मिस्टर मेकनाटन साहबकी राय है कि दत्तक पुत्र मा की बहनके भाई का वारिस हो सकता है देखो, मेकनाटन हिन्दूला जिल्द २ पेज ८८ इन्हीं सब बातोंसे प्रमाण मिलता है कि दत्तक पुत्र नाना पक्षका उतनाही अधिकारी होता है जितना असली लड़का। दफा २६१ दत्तक पुत्र माके स्त्रीधन और सम्पत्तिका वारिस
होता है दत्तक पुत्रके सबब से गोदलेनेवाली मा अथवा जिसके पतिने गोद लिया हो तो विधवा का अधिकार स्त्रीधनपर वैसाही बनारहता है जैसा कि