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दफा २५२-२५३]
दत्तक लेनेकी शहादत कैसी होना चाहिये
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(P.C.) 71; सुम्दाकुमारी बनाम गजाधर 7 M. I. A. 64; S. C. 4 Suth ( P. C. ) 116; राव हनाधा बनाम ब्रजकिशोर 3 I. A. 177; S.C. 1 Md. 69; S. C. 25 Suth. 291. जस्टिस मित्रकी राय देखो, राजेन्द्र नारायण बनाम सरोदा 15 Suth 548; हरमंचलसिंह बनाम कुंधर घनश्याम 2 Kn. P. 220.
___ यद्यपि यह कहा गया है कि जिस पुरुषकी स्त्री गर्भवती हो उस वक्त वह दत्तक ले सकता है ( देखो दफा १०५) मगर यहांपर यह अनुमान भी किया जासकता है कि जब अपनी जवानीमें अथवा यह समझकर कि मेरी स्त्री गर्भवती है ज़रूर इसके औलाद पैदा होगी, मर गया हो तो दत्तकके न लेनेका अनुमान हो सकता है । साबित्री बनाम शबंधन 2 S. D. 21 (26); मञ्जूर किया गया--2 Kn. 287. दफा २५३ कुटुम्बियोंके साथ दत्तक पुत्रके हिलमिल जानेकाअसर
जब किसी दत्तक पुत्रके बारे में कहाजाता हो कि नाजायज़ है और इसके साथही यह भी साबित होताहो कि उस दत्तक पुत्रको दत्तक हुए बहुत रोज़ गुज़र गये हैं, बिरादरी में उसके प्रतिकूल कोई झगड़ा नहीं उठा, सब भाई बन्दोंमें वह खान पान आदिमें मिस्ल दत्तक पुत्रके शामिल किया जाचुका है और होता रहता है, जो कुछ बर्ताव उसके साथ किया गया है वह दत्तक मानकर किया गया है, तथा अन्य सब लोग उसे दत्तक पुत्र समझकर उसके साथ बर्ताव करते हैं तो ऐसी हालतमें यह समझा जायगा किजो सुबूत दत्तक साबित करनेके लिये आवश्यक था वह पूरा हो चुका । या यों कहिये कि जब दत्तक पुत्रको दत्तक लेनेका एक ज़माना बीत गया हो, और खानदानमें तथा उस समाज में जिसमें खानदान वालोंका सम्बन्ध अथवा मेल मिलाप होता रहता है दत्तक पुत्रकी हैसियतसे वह शामिल होगया हो, उसके साथ वैसाही बीव किया गया हो जैसा कि दत्तक पुत्रके लिये होना चाहिये था। ऐसी हालतमें जिनलोगोंके साथ ऐसा बर्ताव हुआ है और जिन लोगोंको दत्तककी सही बातें जाननेका मौका मिला है उनकी शहादत मुक्नहमेमें ज़रूरी होगी-- देखो, प्रकाशचन्द्र बनाम धुनमनी S. D. 1853, 96; नित्यनन्द बनाम कृष्णदयाल 7 B. L. R. 1; S. C. 15 Suth. 300; राजेन्द्रनाथ बनाम जोगेन्द्रनाथ 14 M. I. A. 67; S. C. 15 Suth. (P.C.) 41; हरदयाल बनाम रायक्रिस्टो 24 Suth. 107; सुबो बेवा बनाम सुबोधन 11 Suth. 380; S. C.2 B. L. R. Appx. b1; वैश्य चिम्मनलाल बनाम वैश्य रामचन्द्र 24 Bom. 473. और देखो आखीर के सम्बन्ध की नज़ीरे-राजेन्द्रोनाथ बनाम जोगेन्द्रोनाथ 14 M. I. A. 67; S.C. 15 Suth. ( P. C.) 41; s. C. 7 B. L. R. 216; अनन्द्रो शिवाजी बनाम गणेश यशवंत 7 Bom. H. C. Appx. 33.