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दत्तक या गोद. -
[ चौथा प्रकरण
(३) दादीका गोद लेना - 27 Bom. 492 के मुक़द्दमेंमें जो बम्बई हाईकोर्ट के सामने था जिसमें एक हिन्दू पुरुष अपनी मां और स्त्री तथा एक नाबालिग लड़का छोड़कर मरगया । बाप के मरनेके बाद वह लड़का बिना व्याहा अपनी मां को छोड़कर मरगया । माने एक लड़का गोद लिया, और उसकी सास ( बापकी मां ) एक लड़का गोद लिया । सासका गोद लेना नाजायज़ क़रार दिया गया, क्योंकि उस गोदसे माके हक़ चले जाते थे । माका दत्तक इसलिये जायज़ माना गया कि उसकी गोदसे सिवाय मां और किसीके हक़ नहीं जासकते थे; 11 B. I. L. R 383, 19 B. 331.
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इसी सिद्धांत पर जहां पर पहले जायदाद विवाहित लड़केके नाम, और उसके मरनेके बाद उसकी विधवा स्त्रीके नाम, और उस विधवा स्त्रीके मरने से बापकी विधवाके नाम श्रई हो, तो यह तय कर दिया गया है कि वह विधवा खुद अपने पति के वास्ते अगर कोई गोद लेगी तो नाजायज़ माना जायगा; देखो-17 B. I. L. R, 164.
दफा १३७ विधवाका गोदलेनेका अधिकार कब जाता रहेगा ?
अगर पतिने ऐसी आज्ञा दी हो कि अमुक लड़का गोद लेना, तो फिर विधवा उसे छोड़कर दूसरा गोद नहीं ले सकती, और चाहे वह लड़का लेनेके योग्य न हो और चाहे उसे उसके वारिस गोद भी न दे । जब विधवा उसे गोद ले लेगी तो अधिकार जाता रहेगा । फिर उस अधिकार के अनुसार दूसरा लड़का गोद नहीं लेसकती चाहे वह दत्तक पुत्र मर भी जाय; देखोचौधरी पद्म बनाम कुँवर उदय 12 M. I. A. 356.
मदरास प्रांत में यह माना गया है कि जब पतिने वसीयतनामे द्वारा गोद लेने की आज्ञा दी हो और तदनुसार विधवाने गोद लिया हो तथा गोदके बाद वह पुत्र मरगया, तो फिर विधवा सपिण्डोंकी इजाज़तसे दूसरा लड़का गोद ले सकती है; बशर्तेकि पतिने दूसरा लड़का गोद लेना मना न किया हो; 'देखो - पाराशरभट्ट बनाम रंगरोजा 2 Mad. 202.
सरकारद्वारा ज़ब्ती पर, गोद लेना -- किसी राजा की जायदाद सरकार ने उसकी मृत्युके पश्चात् जब्त कर लिया । आखिरकार सरकारने जायदादको राजाके वारिसोंके लिये छोड़ दिया और उसे राजाकी बड़ी विधवापर अर्पित किया । उसे प्रबन्ध करनेका अधिकार था और दूसरी विधवाओं को जो संयुक्त वारिस थीं, उससे उनके हिस्से के अनुसार लाभ पहुँचाना था। जीवित विधावाओं की मृत्युके पश्चात् राजाकी लड़की और उसके पश्चात राजाके अन्य वारिस जायदाद के वारिस होने को थे । इस ग्रांट की स्वीकृत के पश्चात् बड़ी विधवा ने गोद लिया ।
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