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दफा ११४-११७]
दत्तक लेनेके साधारण नियम
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किसी बातसे यह न पाया जाता हो कि उसका मतलब कुछ और भी हो सकता है एवं ऐसा व्यवहार बराबर बहुत समय तक उसने लड़कीके सम्बन्ध में कायम रखा हो, और वह समय इतना गुजर गया हो जिससे यह अनुमान करना आसान हो जाय कि अब उस लड़कीकी बुद्धि इतनी परिपक्व हो गयी है कि उसके चाल चलनपर कोई खराब असर यानी उसकी दत्तक मां के पेशे का असर नहीं पड़ेगा तो हो सकता है कि ऐसा गोद जायज़ माना जाय । मदरास हाईकोर्ट की दृष्टि से इतना होनेपर भी शहादत बहुत बारीक तौरसे विचार की जायगी।
मदरास हाईकोर्टके अनुसार ऐसा गोद जायज़ माना गया है मगर शर्त यह है कि वह गोद रण्डीके पेशेके लिये न लिया गया हो; देखो--बंकू बनाम महालिङ्ग 11 Mad. 393; 12 Mad. 214; वेकट चिल्लम बनाम वेंकटा सामी, फैसला मदरास, सन 1856 P. 65; 2 Mad. H. C. 66; 13 Mad. 133; अगर उसके कोई लड़की होवेतो वह क़तई तौरपर गोद नहीं ले सकती स्ट्रेञ्ज मैन्यूअल पैरा ६६.
26 Bom. 491, 4 Bom. L. R. 116 में हालके एक मुक़द्दमेमें रण्डी का लिया हुआ दत्तक इसलिये जायज़ माना गया कि उसकी अन्त्येष्ठी क्रिया करे और जायदाद ले।
जब किसी रण्डी या नाचने वाली औरत ने सोलह साल से कम उमर की किसी लड़कीको बेच दिया हो या अपना पेशा कराने के लिये लिया हो, यह दोनों सूरते कानूनन नाजायज़ हैं, वक्लि ऐसे अपराध Act. XLV. 1860. S. S. 372, 373 के अनुसार सज़ा दी जायगी; और देखो 12 Mad. 273.
सिर्फ मदरास में लड़की गोद ली जासकती है; देखो-दफा २२०, ३०३. दफा ११७ जब किसीकी जायदाद कोर्ट आफ वाईके ताबे हो
जिस आदमीकी जायदाद कोर्ट आफ वाईस के ताबे हो वह आदमी बिला मञ्जूरी रेविन्यू बोर्डके दत्तक नहींले सकता,अगरले तो नाजायज़ होगा। एक मरतबा इस बातपर ध्यान दियागया था कि ईनामदार,ज़िमीदार, जागीरदार
और खिदमती जागीरदार जिनके मरने के बाद सरकार उनकी जायदादकी लावारिसकी हैसियतसे पारिस होगी, बिना मञ्जूरी गवर्नन्टके दत्तक नहीं ले सकती यह मञ्जूरी हाकिम वक्त से ली जाना चाहिये । लार्ड डेलहाउसीके समय में इसके अनुसार कुछ काम भी किया गया । इसकी पाबन्दी में अनेक दिक्कतें पैदा हुई। यह शर्त प्रथम तो दत्तक विधान के जायज करने के लिये काफ़ी न थी और यह भी मुमकिन था कि ऐसी सूरतमें सरकारी हाकिम दत्तक लेनेकी इजाज़त न दे और सरकार इजाज़त देने के लिये मजबूर नहीं की जा सकती