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________________ - पुत्र और पुत्रत्व [तीसरा प्रकरण चाहे किसी तरह से हो, क्षेत्रके स्वामी का होगा । जैसे खेतमें बोया हुआ अन्न खेतके स्वामी का होता है, देखो दफा २८२, २८३ दफा ८९ आजकल औरस और दत्तक पुत्र माने जाते हैं अब इस ज़मानेमें केवल औरस, और दत्तक पुत्र यही दो प्रकारके प्रायः माने जाते हैं। अन्य प्रकार के पुत्रोंकी किस्में नहीं मानी जातीं । मिथिला और उसके अंतर्गत जिलोंमें कृत्रिम पुत्रकाप्रचार है । यही चाल लंकाद्वीपके जफना नगर के निवासियों में है। मनु और याज्ञवल्क्यने कृत्रिमपुत्र माना है, मगर कई आचार्य इस पुत्र को नहीं मानते । कृत्रिमपुत्र का विशेष विवरण कृत्रिमदत्तक दफा ३०५--३१२ में देखो । विडो रिमेरेज एक्ट नं० १५ सन् १८५६ ई० के अनुसार विधवा के पुत्रों को वही हक़ होते हैं जो औरस के होते हैं। दफा ९० पुत्रोंके द्रजौका नक्शा पुत्रों के दरजे आचार्यों ने एक से नहीं कायम किये । दरजेसे मतलब श्रेणी या वर्ग है । अङ्गरेज़ी में क्लास (Class) कहते हैं । स्मृतियोंके अनुसार नीचेका मक़शा देखो । इस नकशेमें दरजे इस तरहपर कायम किये गये हैं। देखो बौधायनस्मृति २ प्रश्न २ अध्याय ३६।३७ श्लोक औरसं पुत्रिकांपुत्र क्षेत्रे दर्तकृत्रिमो गूढजं चापविद्धंच रिक्थभाजं प्रचक्षते । ३६ कानीनं च सहोदेंच क्रीतपौनर्भवं तथा स्वयंदत्तं निषादं च गोत्रभाजः प्रचक्षते । ३७ दूसरे पेजमें इन तेरह प्रकारके पुत्रोंके दरजोंका नकशा देखो और एक दूसरे से उनके दरजोंका मिलान करो।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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