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________________ दफावार सविवरण सूची wwwwwwwwwwwww~~~~~ ~~~~~ ~noorwww.wwwwwww aaorn पेज XREKK ५६ ५६ दफा विषय -जबकि लड़कोंको, बापने अपना लड़का माना हो ... -स्त्री पुरुषके साथ रहनेसे विवाहका समझा जाना ... -पति और पत्नीकी तरह रहनेमें -जातिमें जायज मानकर वर्ताव करनेमें -रखेली औरतकी परिस्थिति। -तलवारके जोरसे विवाहकी स्थिति ४३ विवाहका विषय दो भागोंमें बटा है ४४ विवाहके जायज़ माने जानेकी शर्ते ४५ जायज़ विवाहके योग्यताकी शत -कन्याकी जाति और रवाज --लिंगायतोंका रवाज विवाहका -पांचाल और कुरबार जातिमें -कैकोलर जुला हे ईसाई जातिकी लड़की विवाहमें हिन्दू मानी गई -पतिके जीवनमें स्वीका विवाह नाजायज है। -ताज़ीरात हिन्दकी दफा ४९४, १९७ के अनुसार सजा होगी -तलाक के बाद ख़र्च अदा करके विवाह होना -सगाईसे विवाह हो जाना नहीं माना जाता ... -बदलेका विवाह जायज़ माना गया है (२) विवाहमें वर्जित सपिण्ड' । ४६ सपिण्डकी किस्में ४७ विवाहमें वर्जित सपिण्ड ... -याज्ञवल्क्य और मिताक्षराका मत ४८ मिताक्षरामें पिंड दानके आधारपर सपिंड नहीं माना गया ... ४६ अपने गोत्र और प्रवरकी कन्याके साथ विवाह वर्जित है ... ५० शूद्रोंके विषयमें गोत्र और प्रवरका नियम नहीं है ५१ विवाहमें सपिण्ड सम्बन्ध कहांतक माना जाता है . ५२ सपिण्डोंमें विवाह करनेकी मनाही। ५३ बङ्गाल स्कूलमें सपिण्ड कन्या कौन है ५४ मिताक्षरा स्कूलके अनुसार विवाहमें सपिण्ड कन्या ५५ दत्तकसे विवाहका सपिण्ड नहीं हरता ... ५६ सपिण्डमें किये हुए विवाहका परिणाम ... ५७ मिन्न जातियोंके परस्पर विवाह .. -अनुलोमज विवाह ६१ ६४
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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