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प्राक्कथन
आज हम दूसरी बार यह कानून सर्वाङ्गपूर्ण छाप कर अपने भाइयों के सामने उपस्थित कर रहे हैं। प्रथमावृत्तिसे इस बार यह कानून बहुत बढ़ गयां । हाल तककी प्रायः सभी नज़ीरों और समग्र संशोधनों तथा तत्सम्बन्धी सब नये कानूनोंका यथा स्थान उल्लेख करना पड़ा और पूरा पूरा छापना पड़ा। पहलेकी अपेक्षा यह कानून बहुत ज्यादा फायदेमन्द और लाभदायक प्रमाणित होगा। यद्यपि इस बार कागज़, छपाई तथा बाइडिङ्ग और लेखन आदिमें अधिक खर्च कियागया है तिसपर भी हमने मूल्य कुछभी नहीं बढ़ाया।
_ 'हिन्दूला' दो शब्दोंके योगसे बना है। प्रथम शब्दका अर्थ व्यापक है और दूसरे शब्दका अर्थ है 'कानून' हिन्दुओंके प्राचीन आचार्योंके निर्धारित नियमों और बचनोंके अनुसार सामाजिक व्यवहारका जितना भाग अगरेज़ सरकारने स्वीकार कर लिया है और जिसके अनुसार अदालतोंमें हिन्दुओंके सामाजिक मुकद्दमे फैसल होते हैं उसे हिन्दूला कहते हैं। हिन्दूला से सम्ब न्ध रखने वाले सरकारके अन्य कानून भी हैं जिनका वर्णन यथास्थान इस प्रन्थमें किया गया है। हिन्दुओंके लिये एवं हिन्दू जातिके धर्माचार्योंके जैसे साधू, संन्यासी, महन्त, गद्दीधर, मठ या मन्दिरके अधिष्ठाता, शिवायत, पुजारी तथा सार्वजनिक लाभके लिये संस्था कायम करने वालोंके लिये मी यह कानून अत्यन्त उपयोगी है। हमें विश्वास है कि यदि इस कानूनकी मोटी मोटी बाते हमारे भाई याद रखें तो अदालती हानियों और बड़ी बड़ी परेशानियोंसे बहुत कुछ बच जावें। वे जान सकेंगे कि शामिल शरीक या बटे हुये परिवारमें मर्दो, स्त्रियों, लड़कों, गर्भमें बच्चोंका जायदादमें कितना हक़ है, किसके मरनेपर कौन वारिस कव होगा, विवाह कैसे वर कन्याके साथ किस उमर में कब करना उचित है, कैसे विवाहके लड़के वारिस होंगें, पति
पत्नीके परस्पर अधिकार व हक्क, क्या हैं, गोदका कानून क्या है नाबालिग - और वलीके अधिकार आदि क्या हैं, उत्तराधिकार अर्थात् वरासतमें किनको - कब, किसके पश्चात् या किससे पहले किस तरहकी जायदाद मिलती है। बिठलाई हुई स्त्रियों व उनकी सन्तानके हक व अधिकार क्या हैं, फर्जी मामलोंका कानून क्या है, स्त्रीधन व स्त्रियोंको मिली हुई जायदाद कब उनको पूर्ण अधिकारसे मिलती है, दान और वसीयतके कानूनी नियम क्या हैं एवं मन्दिरों, पाठशालाओं, धर्मशालाओं व साधुओंकी गद्दीमें लगी जायदादका पूरा कानून क्या है। दूस्ट, ट्रस्टी श्रादिके अधिकार व हक्र व ज़िम्मे.