SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 182
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ६१-७० ] वैवाहिक सम्बन्ध रा तौर से ऐसा इक़रार करानेवाले भी प्रायः इसे नापसन्द करते हैं। हिन्दू लॉ के अनुसार विवाह कर देने की शर्तपर जो लेन देनका इक़रार किया जाय या इस संबंध की दलाली, ऐसे मामले इन्डियन कंट्राक्ट एक्टके अनुसार नाजायज़ हैं १०१ एक आदमीने जो किसी दूसरे आदमीकी लड़कीका वली था उस लड़की का विवाह किसी आदमीसे कर देनेके इक़रार पर उस आदमी से कुछ रक़म पानेका बचन ले लिया था अदालतने माना कि लड़कीका वली उस रक़म पानेके लिये दावा नहीं कर सकता । देखो - दुलारी बनाम वल्लभः दास 14 Bom. 126; पीताम्बर रतनसी बनाम जगजीवन 13 Bom. 831. fare लिये कोई सुंदर स्त्री ढूंढ देने की शर्तपर एक आदमीने दूसरे आदमी से कुछ रकम पानेका इक़रार कर लिया था अदालतने माना कि ऐसा इक़रार, इन्डियन कंट्राक्ट एक्ट की २३ दफाके अनुसार नाजायज़ है; देखोवैद्यनाथं बनाम गंगाराजू 17 Mad. 9; मदरास के इस मुक़द्दमेमें यह बात ध्यान देने योग्य है, कि इस मामलेमें हाईकोर्ट ने जो राय प्रकट की उससे इस हाईकोर्टकी उस रायका खण्डन होगया जो उसने ऊपर कहे हुए 13 Mad. 83 वाले मुक़द्दमे में प्रकट की थी । अगर किसीने अपने लड़के या लड़कीका विवाह कर देनेके इक़रार पर जो लेनदेन किसी दूसरी तरहपर किया हो वह नाजायज़ है यह बात हालमें बंबई हाईकोर्टने मानी है, ढोलीदास बनाम फूलचन्द 22 Bom 658. दफा ७० कन्यादान देनेके अधिकारी कौन हैं हिन्दू विवाहमें दुलहिन का स्वयं कुछ अधिकार नहीं होता अर्थात् वह कन्या अपने पिता, या वली, किसी रिश्तेदारके द्वारा दान के तौरपर दी जाती है, कन्यादान के करने वालोंके अधिकार का क्रम याज्ञवल्क्य ने इस प्रकार कहा है- पितापितामहो भ्राता सकुल्यो जननी तथा कन्याप्रदः पूर्वनाशे प्रकृतिस्थः परः परः १- ६३ मिताक्षराकार विज्ञानेश्वर कहते हैं कि- एतेषां पित्रादीनां पूर्व, पूर्वाभावे परपरः कन्याप्रदः । इत्यादि यानी पिता, पितामह, भाई सकुल्य ( देखो दफा ५८७ ) तथा माता इन सबमें क्रम यह है कि पूर्व कहे हुए अधिकारीकेन होनेपर पर अधिकारी कन्यादान योग्य हैं माताका दरजा अंतमें रखाभया है। यानी सबसे पढ़े पिता उसके न होनेपर पितामह, पीछे भाई, भाईके न होने पर पिता की
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy