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दफा ८७४ ]
धर्मादेकी संस्थाके नियम
( ३ ) सरकारी सहायता के मन्दिर - जो मन्दिर पूजा पाठके लिये सरकारसे भी प्रार्थिक सहायता पाता हो उसकी प्रबन्धकारिणी कमेटीपर एडवोकेट जनरल सर्व साधारणकी ओरसे यह दावा कर सकते हैं कि वह अपने अमुक कर्तव्यों का उचित रीतिसे पालन करें; देखो - 33 Bom. 387; 4 M. I. 191; 3 A. 32.
(४) किन मामला से इस दफाका सम्बन्ध जा चुका है कि यह दफा ६२ नीचे लिखे मामलोंसे मामले यह हैं
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नहीं है ? - यह माना लागू नहीं होती । वे
(क) मुद्दईका यह दावा कि मैं ट्रस्टी माना जाऊँ 22 Bom. 496,
33 Cal. 789.
(ख) मुद्दई का यह दावा कि मैं प्रबन्ध करनेका अधिकारी हूं और वास्तवमें प्रबन्ध कर रहा हूं यह बात अदालत क़रार दे - 28 Bom. 20.
( ग ) इस बात के क़रार दिये जानेका दावा कि मुद्दईको मठमें मेनेजर की नियुक्तिका अधिकार प्राप्त है 10 Mad. 375.
(घ) दो फरीनोंके परस्पर यह दावा कि उनमें से हर एकको मेनेजरी के कुछ अधिकार प्राप्त हैं 32 Cal. 273.
(च) यह क़रार दिये जानेका दावा कि ट्रस्ट क़ायम हैं 25 Al1.631. (छ) किसी मन्दिरके पूजकोंकी ओरसे यह क़रार दिये जानेका दावा कि ' धर्मकर्ता ' ( मेनेजर ) के पद पर अमुक लोगोंकी नियुक्ति नाजायज़ है, 23 Mad. 28.
( ज ) वह दावे जो किसी सार्वजनिक अधिकार क़ायम करनेके लिये नहीं बल्कि इसलिये दायर किये गये हों कि किसी एक आदमी का हक़ जो भन किया गया हो बहाल किया जाय 33 Cal. 789; 10 C. W. N. 581; 7 All. 178; 8 Cal. 32, 11 Cal. 33; 5 All. 497.
दफा १२ के अनुसार मुकद्दमा दायर करने के जो उद्देश बताये गये हैं उन उद्देशोंके सिवाय जो दावे दायर किये जायँ उनके विषयमें यह मानां गया है कि वे इस दफाके अन्तर्गत नहीं हैं क्योंकि वे सिर्फ ऐसे ही मामले होंगे जो ट्रस्टियोंने ऐसे लोगोंके विरुद्ध दायर किये होगें जिनका उस ट्रस्ट से कुछ सम्बन्ध नहीं है और जो उसके विरोधी हो सकते हैं जैसे वे लोग जिनके पास ट्रस्टकी किसी जायदादका अनुचित इन्तक़ाल हुआ हो या अनधिकारसे उस ट्रस्टमें कोई क़ब्ज़ा पा गये हों; देखो - 33 Cal. 7899 10 C. W. N, 681; 21 All. 187.