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धर्मादेकी संस्थाके नियम
दफा ८५-८६३ ]
दफा ८६१ दावाकी मुद्दत
धर्मादे की जिस जायदादका इन्तक़ाल बेक़ानूनी तौरसे किया गया हो उस जायदादपर फिर क़ब्ज़ा पानेके लिये पीछे आने वाला शिवायत, महन्त और मैनेजर दावा कर सकता है ऐसे दावाकी मियाद उस तारीख से शुरू होगी जिस तारीखको उस दूसरे मेनेजर आदिने अपने कामका चार्ज लिया; देखो -- 13 Mad. 277; 13 Mad. 402; 23 Mad. 271; 4 C. W.N. 3293 27 I. A. 69; 2 Bom. L. R. 597; 18 Mad, 266; 23 Cal. 536.
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दफा ८६२ हक़ मुखालिफाना
अगर किसीके क़ब्ज़े व दखल में बारह वर्षसे ज्यादा किसी मूर्ति या शिवायत या किसी धर्मादेकी जायदाद रही हो तो उसमें वह मुखालिफाना हक़ प्राप्त कर सकता है, देखो -- दामोदरदास बनाम लखनदास अधिकारी 37 I. A. 147; 37 Cal. 885; 14 C.W. N. 889; 12 Bom. L. R. 682; 36 Bom. 135; 13 Bom. L. R. 1169.
देवोत्तर जायदाद यदि किसीके क़ब्ज़ेमें हो और वह क़ब्ज़ा कुछ शिवा यतोंके मुक़ाबिलेसें मुखालिफाना हो गया हो तो सब शिवायतोंके मुक़ाबिलेमें मुखालिफाना माना जायगा, देखो - 13 C. W.N. 805. धर्मादेका कोई पदाधिकारी अपनेसे पहले पदाधिकारीके सयमके मुखालिफाना इक्रके विरुद्ध दावा दायर नहीं कर सकता; देखो - 31 Mad. 47 तथा दफा ४१०-१.
कब्ज़ा मुखालिफ़ाना - मियाद मूर्तिके खिलाफ़ वैसी ही लागू होती है जैसीकि शिवाय के खिलाफ़- शिवायतके न होनेपर क़ज़ेकी नालिश मूर्तिके नामपर होनी चाहिये - एडमिनिस्ट्रेटर जनरल आफु बङ्गाल बनाम बालकृष्ण frer 84 I. C. 91; A. I. R. 1925 Cal. 140.
संयुक्त शिवाय के हमें दिया हुआ दान नाजायज़ नहीं होता, यदि वह देवोत्तर सम्पतिके लिये हो - 141 C. I. J. 22; 82 I. C. 840; A. I. R. 1925 Cal. 442.
ट्रस्ट और धर्मादेकी जायदाद के प्रबन्ध आदिका उत्तराधिकार
दफा ८६३ शर्ते
धर्मादेकी स्थापनाकी शर्तोंमें अगर यह लिखा हो कि धर्मादेका ट्रस्ट या इन्तज़ामका अधिकार एकके बाद दूसरे पदाधिकारीको मिलता चला जाय