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दफा ८१३-८१५
घसीयतके नियम
की बलि देना स्वीकार किया राक्षसने प्रसन्न होकर भूतलको उस प्रांतका राजा बना दिया तबसे भूतलने यह नियम जारी किया कि प्रत्येक मनुष्यके उत्तराधिकारी बहन के पुत्र हुआ करें। दक्षिण कनाराके 'तुलू' जिमीदार, काश्तकार, मज़दूर और 'बांट' जातिके अधिकांश लोग तथा मुसलमान 'मोपले' भी इसी अलिया संतान लॉ के अनुसार विवाह और उत्तराधिकार मानते हैं इस लॉके अनुसार जो विवाह होता है उसे मलावार मेरेजलाँ कहते हैं कमीशन्के सामने उस प्रांतके सरकारी गवाहोंने नायर आदिकी पृथासे इसे अच्छा बताया है । सगाईके बाद विवाह होता है स्त्री पुरुष दोनोंको एक दूसरेसे तलाक़ (देखो दफा ६१ ) हासिल करनेका अधिकार है । एकही गोत्र वाले आपसमें विवाह नहीं कर सकते यदि करें तो ज़ाति च्युत हो जाते हैं।
प्रोवेट
दफा ८१५ प्रोवेट
हिन्दू विल्स एक्ट पास होनेसे पहिले किसी हिन्दूका उत्तराधिकार प्रोवेट मिल जानेपर भी जायदादका मालिक नहीं बल्कि मेनेजर माना जाता था किन्तु एक्ट नं०५ सन् १८८१ ई० की दफा ४ के अनुसार अब वह वसीयत करने वाले का प्रतिनिधि माना जाता है। नीचे हम, प्रोवेट एन्ड एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट नं०५ सन् १८८१ ई० की कुछ आवश्यक दफाओंका उल्लेख करते हैं जो वसीयतके प्रोवेट प्राप्त करनेके लिये ज़रूरी हैं
__ दफा २४-जबकि वसीयतनासा खोगया हो, या वसीयत करनेवालेकी मृत्युके दिनसे न मिलता हो, या किसी आकस्मिक घटनासे अथवा अनुचित रूपसे नष्ट होगया हो,और वसीयत करने वालेके किसी कामसे नष्ट न हुआ हो, और उसकी एक नक़ल या मसविदा मौजूद हो तो उस नक्कल या मसविदेका प्रोवेट अदालत उस वक्त तकके लिये मंजूर करेगी जब तककि असली वसीयतनामा या उसकी ठीक बाज़ाबिता नकल पेश न की जाय ।
दफा २५-जवकि वसीयतनामा खोगया हो या नष्ट होगया हो और कोई नकल उसकी न हो और न मसविदा रखा गया हो तो अगर उसके अन्दरका मतलब शहादतसे साबित कर दिया जाय तो अदालत प्रोवेट
करेगी।
दफा २६-जबकि वसीयतनामा जिसके द्वारा प्रोवेट लेना है, ऐसे किसीके पास जो दूसरे प्रान्तका निवासी है और उसने देनेसे इन्कार कर दिया या देनेके लिये बेपरवाहीकी लेकिन उसकी नक़ल वसीयतकी तामील करने वालेके पास भेज दीगयी हो और असली वसीयतनामेकी प्रतीक्षा न