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दफा ७६३-७६५]
दानके नियम
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बातोंपर बहुत कुछ कहा गया है किन्तु कानूनमें अब वह बातें सब नहीं मानी जातीं इसलिये हम केवल वही बात कहते हैं जो वर्तमान हिन्दूलॉ के सम्बन्ध में मानी जाती हैं।
दान देते समय, या यदि वसीयत द्वारा दान दिया जाय तो दान देने वालेकी मृत्युके समय जो आदमी जीवित हो वही दान ले सकता है। यानी दान देते समय जो सन्तान पैदा न हुई हो उसके नाम भावी दान नहीं दिया जा सकता। बच्चे या पागलको भी दान दिया जा सकता है, देखो-मेकनाटन हिन्दुला Vol. 2, P. 243-2447 और 27 Bom. 31; 4 Bom. L. R. 754. में माना गया कि बच्चे और पागलकी तरफसे उसके लिये उसका वली दान ले सकता है।
जब कोई नाबालिग्न दानमें कोई जायदाद पाये या उसका वली उसके लिये कोई जायदाद पाये और उस जायदादके दानके साथ किसी तरहकी शर्त लगी हो तो नाबालिग्न उस शर्तका पाबन्द नहीं होगा । किन्तु अगर बालिग होनेपर और उस शर्तको जानकर वह उस शर्तका विरोध न करे, और जायदाद अपने कब्जेमें रखे तो वह उस शर्तका पाबन्द होगा, देखो-कानून इन्तकाल जायदाद एक्ट नं0 4 of 1882. S. 127, 20 Mad. 147.
नोट - कोई स्त्री, केवल स्त्री होने की वजहसे, दान लेनेसे वंचित नहीं है। दफा ७९५ कब्ज़ा हो जाना अत्यावश्यक है
(१) कानूनकी दृष्टिमें पूरा दान वह है कि जो ज़बानी या लिखकर, और जायदादमें मालिकाना हक्क त्याग देनेकी नीयत रखकर किया जाय, और दान देने वालेकी जिन्दगीमें दान लेने वालेका कब्ज़ा उस दानकी जायदादपर पूरे तौरसे हो जाय, देखो-6 Mad. H. C. 270.
(२) हिन्दूला के अनुसार यह आवश्यक है कि दान लेने वालेका कब्ज़ा जहां तक मुमकिन हो दानसे मिली हुई चीज़पर जल्द हो जाय, देखो4 All. 40; 6 Mal. H. C 194.
(३) जब दान दी हुई भूमि असामियोंके कब्जे में हो तो उस भूमि सम्बन्धी हक़की लिखत और कागज़ात दे देनेसे या अप्लामियोंसे यह कह देनेसे कि वे मालगुज़ारी दान लेने वालेको दिया करें या असामियोंसे मालगुज़ारी लेकर रसीद देनेसे, दानकी जायदादपर दान लेनेवालेकाक़ब्ज़ा समझा जायगा, देखो-4 Bom. H.C31; 5 Bom. H.C. O.C. 83.
(४) सिर्फ दान पत्रकी रजिस्ट्री करा देनेसे दान लेने वालेका क़ब्ज़ा जायदादपर नहीं समझा जायगा--20 Cal. 464; 9 Cal. 854; 12 C. L.R. 530; 7 Bom. 18!. लेकिन वह माना गया कि, रजिस्ट्री कराने के बाद अगर
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