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हिन्दूलॉ के स्कूलोंका वर्णन
[ प्रथम प्रकरण
विश्वास नहीं करते कि कोई पुत्र, चाहे वह कुदरती पुत्र हो या गोद लिया हो पिताको आत्मिक लाभ पहुँचाता है । धनराज जौहरमल बनाम सोनी बाई 52 Cal. 482; 52 I. A. 231; (1925) M. W. N. 692; 87 I. C. 357; 27 Bom. L. R. 837; L. R. 6 P. C. 357; 23 A. L. J. 273; 2 O. W. N. 335; 21 N. L. R. 50; A. I. R. 1925 P. C. 118; 49 M. L. J. 173 ( P. C. ).
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(४) खोजा मुसलमान - - ( क ) जब तक कोई विरोधी रवाजका मज़ बूत, साफ साफ प्रमाण न हो तब तक खोजा मुसलमानोंमें दाय भाग, उत्तराधिकार और जायदादके सम्बन्ध में हिन्दूलॉ लागू होगा देखो - 12 B. H. C. 281; 13 B 534; 9 B. 115; 9 B 158; 3 C. 694; 6 B. 452; 10 B. 1; 1 B. H. C. 71-73; 2 B. H. C. 292; 9 B. 133; 38 B. 449.
( ख ) दायभाग और उत्तराधिकारके सम्बन्धमें जो शर्तें हिन्दूलों में लागू हुई हैं वह सब खोजा मुसलमानोंको माननीय होती हैं । जब कोई खोजा मुसलमान किसी जायदादका वारिस होता है तो उस जायदाद सम्बन्धी सब अधिकार और उसके देन लेनका भी ज़िम्मेदार होता है 29 B 85; 6 Bom. L. R. 874.
( ग ) अगर ' यह कहा जाय कि हिन्दूलॉके विरुद्ध कोई रवाज खोजा मुसलमानोंमें जारी है तो इस बातका बारसुबूत रवाजके बयान करनेवालेपर है । रवाज साबित करनेके बारेमें जो यह शर्तें हैं कि रवाज प्राचीन हो, कभी उस रवाजमें तब्दीली न होती हो, और क़ानूनकी तरह माननीय हो, इन शर्तोंका सख्ती के साथ पा लन खोजा मुसलमानोंमें न किया जायगा । सिर्फ यह साबित करना काफी होगा कि खोजा मुसलमानोंमें वैसी रवाज अधिकांश आदमी मानते हैं 12 B. H C. 294.
(घ) परन्तु रवाजके माने जानेके विषय में खोजा मुसलमानोंके केवल वालोगों की राय ही काफी नहीं होगी बल्कि मिसालें देकर उन्हें यह साबित करना होगा कि ऐसा रवाज माना जाता है 3 B. 34. और भी आगे देखो.
(ङ) असल बात यह है कि अभीतक कोई यह निश्चय नहीं कर सका कि खोजा मुसलमानों का हिन्दूलों से कितना संबंध है और प्रेसी डेन्सी शहरोंमें (कलकत्ता, बम्बई और मदरासमें ) मुसलमान या अंगरेजीलॉ से कितना है ? खोजोंके मामलों में विचार करते समय यह नहीं देखना चाहिये कि खोजा मुसलमानोंने कितना हिन्दूलॉ