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दफा ७७७]
बेनामी क्या है
इन्तकाल करने का अधिकारी नहींथा, बशर्ते कि जिसके हकमें इन्तकाल किया गया है उसने काफ़ी और योग्य जांच इस बातकी करली हो कि इन्तकाल करनेवाला, इन्तकाल करनेका अधिकार रखता है, और नेक नीयतीसे खरीदा हो।
नोट- उपरोक्त दफा४१कानून इन्तकाल जायदादका विशेष भन्श मुश्तरका जायदादसे लागू है। बेनामीदारके इन्तकालमें खरीदारको इससे अधिक नांच करना चाहिये।
(३) लेनदारों से दगाबाज़ी करने में-जबकि लेनदारों से दगावाजी करनेकी नीयतसे जायदाद किसी झूठे मामपर रखदी गयी हो या इन्तकाल करदी गयी हो, और उस नीयत का वास्तवमें उपयोग किया गया हो तो असली मालिक को अधिकार नहीं है कि बेनामीदार से जायदाद वापिस ले सके । लेकिन अगर यह देखा जाय कि दगाबाज़ी की नीयतका उपयोग नहीं किया गया तो असलीमालिक अपनी जायदाद बेनामीदारसे वापिसले सकता है, देखो-35 I. A. 98; 23 Bom. 4067 222 Mad. 323, 33 Cal. 967...
उदाहरण- 'क' बहुत आदमियों का कर्जदार है लेनदारों का रुपया मारने और जायदाद बचानेके लिये उसने अपनी जायदाद पांच हज़ार रुपये पर 'ख' के नाम इन्तकाल करदी। 'ख' ने 'क' को रुपया कुछ नहीं दिया सिर्फ बेनामी तौरसे इन्तकाल हुआ । इस इन्तकाल की नीयत लेनदारों के साथ दगाबाज़ी करने की थी। कुछ दिनके बाद 'क' ने अपने सब लेनदारोंको रुपये में चार आने चुका कर पूरे कर्जेसे छुटकारा पा लिया । उसके बाद 'क' ने, नालिशकी कि 'ख'का नाम बेनामी करार दियाजाय और जायदाद उसके कब्जे व दखलसे मुझे दिला दी जाय । देखो यहांपर दगाबाज़ीकी नीयतका वास्तव में उपयोग किया गया क्योंकि जब 'क' के पास लेनदारों ने जायदाद नहीं देखीं इसलिये चार आने लेकर अपने कुल रुपयेसे दस्तबरदार हो गये, ऐसी सूरत में उपरोक्त सिद्धांत लागू होगा , यानी 'क' को जायदाद वापिस नहीं मिलेगी और न उसका दावा सुना जायगा । यह स्पष्ट है कि 'क' और 'ख' दोनों एक ही तरहके गुनहगार हैं। दोनोंने मिलकर लेनदारोंका रुपया मारा; परन्त 'ख' के कब्जे व दखलमें जो जायदाद इस तरह पर है उसमें अदालत कुछ दखर नहीं देगी लेकिन अगर 'क' दगाबाज़ी की नीयतका वास्तवमें उपयोग करने से पहले अर्थात् लेनदारों को रुपया चुकाये जानेसे पहले जबकि लेनदारोंके रुपयेमें कानून मियादका कोई झंझट न पड़ता हो 'ख'पर ऐसी नालिश करता तो वह उससे जायदाद वापिस लेनेका अधिकारी था, अदालत उस समय 'क' की दगाबाज़ी की नीयतके कसूर पर कोई दण्ड नहीं देगी कि जो उसने एक मरतबा लेनदारों के साथ केवल दगाबाज़ी करनेका ख्याल किरा था बक्लि अदालत 'ख' को हुक्म देगी कि कुल जायदाद 'क' को लौटा दो। मतलब यह