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हिन्दूलॉ के स्कूलोंका वर्णन
[प्रथम प्रकरण
हिन्दूको अधिकार था कि चाहे वह अपना प्राचीन हिन्दूला मानता रहे या न रहे परन्तु अब ऐसा नहीं होता यानी ईसाई होजानेवाला कोई हिन्दू अब भी हिन्दू रसम रवाज मानता है, प्रमाणके तौरपर मानी नहीं जायगी 2 Mad. I. L. R. 209; 19 B. 783.
इन्डियन सक्सेशन एक्टका संबंध हिन्दूकी जायदादसे नहीं है, परन्तु फिर भी कोई हिन्दू, किसी ईसाईकी जायदादका वारिस हो सकता है देखोउक्त कानूनकी दफा ३३१, मुसलमान हो जानेवाले हिन्दूसे भी हिन्दूला लागू नहीं होता 20 B. 53; 10 B. 1.
हिन्दूला उन हिन्दुओंसे लागू होगा, जो जन्म और धर्मसे हिन्दू हों देखो-9 M. I. A. 199-243; 'जन्म' से मतलब यह है कि जो हिन्दूकी प्रधानतामें पैदा हुए हैं और हिन्दूधर्म प्रकाशित नहीं किया देखो-भगवान कुंवर बनाम बोस 31 Cal. 11, 33; 30 L. A. 249; 19. Bom. 783, 788; इन मुक़दमोंमें माना गया है कि हिन्दूला उन लोगोंसे लागू नहीं होगा जो पैदाइशी हिन्दू नहीं हैं लेकिन सिर्फ हिन्दूधर्म मानते हैं । हिन्दू अवश्य पैदाइशी हो, बनाहुआ नहीं। प्रिवीकौसिलके सामने हालमै एक मार्कका मुकदमा पेश हुआ। मामला यह था कि एक हिन्दू क्षत्रीके मुसलमान स्त्रीले एक अनौरस पुत्र पैदा हुआ, वह पुत्र हिन्दू मानकर परवरिश किया गया और वह अपने तमाम जीवनभर हिन्दूधर्म तथा हिन्दू प्रतिमायें मानता रहा, उसका विवाह एक हिन्दू क्षत्रियानीके साथ हुआ, उस क्षत्रियानीके गर्भसे एक लड़का पैदा हुआ। अब प्रश्न यह उठा कि लड़का हिन्दू नहीं माना जा सकता, क्योंकि उसका बाप केवल हिन्दूधर्म मानता था, हिन्दू पैदा नहीं हुआ था। माननीय जजोंने दोनोंतरफकी बहस सुनकर कहा कि मुकद्दमेकी स्थितिके अनुसार हमारी रायमें इस विषयपर कोई राय देना ज़रूरी नहीं मालूम होता । देखो शरबहादुर बनाम गंगाबकस (1.113) 36All 101 115, 116; 41 I. A.1, 14; 22,I.C.293.
हिन्दुओंके अनौरस पुत्रोंसे हिन्दूला लागू होता है। बाप और मां यदि हिन्दूहों, चाहे परस्पर भिन्न नौमके हों और चाहे बिठलाई हुई स्त्रीके हों या विवाहिताके उनसे हिन्दूला लागू होगा 18 Cal 264. दफा १२ हिन्दूला किनसे लागू होता है ?
(१) सिख--सिखोंमें हिन्दूला लागू होता है, इसी कानून के अनुसार अदालतें उनके मामलोंका फैसला भी करती हैं । क्योंकि सिखोंकी गणना हिन्दू शब्दसे होती है उनके मामलोंमें न्याय और सदविचारके द्वारा विचार करनेकी पृथा काममें लायी नहीं जाती 31 C. 11; 30 I. A. 249; 5 Bom, L.P. 845; 13 M. L.J. 38, 1; 7 C. W. N. 895,