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भविसयत्तकहाए
विणयविउ पडिच्छियपेसणु जणणिहि पुणु वि करइ संभाषणु । अंगु भरेवि गरुयसम्माणहो देहि आएमु माइ पत्थाणहो । अच्छिज्जहि सुहझाणु समारिवि परिहवस हियह अवहारिवि । समउ सरूवई सरलु करिज्जहि मं दुव्वयणदोसु पडिवजहि । अणइच्छियई होंति जिम दुक्खई सहसा परिणवंति तिह सोक्खई । सावि सिप्पि चंदणहो भरिष्पिणु अहिणवकंचणपत्ति करेप्पिणु । वंद करिव व अबलोइवि दहिदुव्वक्वय सिरि संजोइवि । धत्ता । संवरिविहिउ लोयण लहिवि दुक्खु दुक्खु मणि संभवह | जिrपडिम सेस करयलि करिवि पियपेसलवयणई चवइ ॥ १७ ॥ अइरुहुरुहियविरल्लियगत्ते णियणंदणु सिक्खवइ पत्तें । पई विणु मज्झ कालु अइदुत्तरु होसइ दिणु वि नाई संवच्छरु | अज्जवि पुत निरारिउ बालु दूरविएस तुज्झु को कालु । दिg होहि उत्तमगुणवग्गहो रक्खिज्जहि लंछणु कुलमग्गहो । होइ जुवाणभाउ सवियारउ अमुणियकज्जाकज्जपयारउ । चलतियमइहि पवड्डियमाणहु गयवइयहं दूहवहं जुवाणहु । बहुरइ वयणालाउ ण किज्जइ जंपतिहु महियलु जोइज्जइ । tart होंति जुवाणहं मुद्धउ तरुणिवयणदंसणरसलुङउ । धत्ता । जोव्वणवियाररसवसपसरि सो सूरउ सो पंडियउ ।
चलमम्मणवयणुल्लाव एहिं जो परतियहिं ण खंडियउ ॥ १८ ॥ पुरिसिं पुरिसिव्वउ पालिब्वड परधणु परकलत्तु णउ लिब्बड | तं धणु जं अविणासियधम्में लग्भइ पुव्वक्कियसुहकम्में | तं कलत्तु परिओसियगत्तउ जं सुहिपाणिग्गहणि विढत्तउ । णियमणि जेण संक उप्पज्जइ भरणंति विण कम्मु तं किज्जइ । अण्णु वि भणमि पुत्त परमत्थें जइवि होहि परिपुरण महत्थे । तरुणितरललोयण मणि भाविउ पहुसम्माणदाणगुणगाविउ । तहिंमि कालि अम्हहिं सुमरिज्जहि एकवार मुहदंसणु दिजहि । परधणु पायधूलि मणिज्जहि परकलन्तु मई समउ गणिजहि । पिज्जहि जणणयणाणंदणु जिणहु तिकाल करिज्जहि वंदणु । धत्ता । जिणधम्मगुणुज्जमसंजमिण सुहु सिज्झउ गमनागमणु ।
रक्ख जिणसासणदेवएहिं विढविवि आवहि अतुल धणु ॥ १९ ॥
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