________________
और ऐसा ही सदा होता रहेगा। शुभ है। सौभाग्य है कि यात्रा थकती नहीं, चुकती नहीं, अंत नहीं आता। यह खेल शाश्वत है, अनवरत है।
तूफान और आंधी हमको न रोक पाये वो और थे मुसाफिर जो पथ से लौट आये संकल्प कर लिया तो संकल्प बन गये हम मरने के सब इरादे जीने के काम आये कुछ कल्पनायें जोड़ी, कुछ भावनायें तोड़ी दीवानगी में हमने क्या-क्या न गुल खिलाये आबाद हो गई हैं दुख-दर्द की सभायें एक साज की बदौलत सौ तार थरथराये जाने कहां बसेंगे, जाने कहां लुटेंगे बादल ने बाग सींचे, बिजली ने घर जलाये संतोष को सफर में संतोष मिल रहा है हम भी तो हैं तुम्हारे, कहने लगे पराये संतोष को सफर में संतोष मिल रहा है
हम भी तो हैं तुम्हारे, कहने लगे पराये - जिस दिन तुम यात्रा को ही गंतव्य मान लोगे उस दिन कोई पराया नहीं, कोई अन्य नहीं, सभी अनन्य हैं। जिस दिन प्रतिपग मंजिल मालूम होने लगेगी उस दिन धन्यभागी हुए; उस दिन प्रभु तुम पर बरसा; उस दिन तुमने पहचाना; उस दिन प्रत्यभिज्ञा हुई।
आखिरी प्रश्नः प्यारे भगवान श्री, हम्मा को बिना सवाल किये जो जवाब दिया, उसे सुनकर मुझे कितनी खुशी हुई यह मैं शब्दों में नहीं कह सकती। आपका आशीर्वाद बरस रहा
| पछा है जसु ने।
पहली बातः सवाल हो तो तुम पूछो या न पूछो, जवाब मैं देता हूं। सवाल न हो तो तुम कितना ही पूछो, जवाब मैं नहीं देता। सवाल पूछने
घन बरसे
A7