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- सब
करते मालूम होते हैं। यह पुनरुक्ति नहीं है, यह सत्य को सभी तरफ से कह देने की चेष्टा हैआयामों से, सब दिशाओं से, ताकि कहीं भूल चूक न रह जाये। तुम सब भांति परिचित हो जाओ । सत्य की ठीक-ठीक धारणा तुम्हारे मन में स्पष्ट हो जाये तो तुम यात्रा पर निकल सकते हो। जिसे हम खोजने लगते हैं वही मिलता है । जिसे हम खोजने लगते हैं वही मिल सकता है।
आज इतना ही ।
मूढ़ कौन, अमूढ़ कौन!
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