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________________ प्रमाण तो तुम्हें जीवन में मिलेंगे। तुम्हारा जीवन इनके लिए प्रमाण जुटायेगा । अब इब्तदा-इश्क का आलम कहां हफीज कश्ती मेरी डुबो कर वह साहिल उतर गया एक न एक दिन जब तुम पाओगे कि वह जवानी, वह प्रेम, वह माया - मोह, वह सब तुम्हारी कश्ती को डुबोकर वह बाढ़ उतर गई और तुम किनारे पर लुटे खड़े रह गये। कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे। उस दिन तुम याद न करोगे? उस दिन तुम्हें खयाल न आयेगा? उस दिन तुम चौंककर जागोगे नहीं? नहीं, तुम बच नहीं सकते क्योंकि इन बातों में सचाई है। हो कोई मोती गूंथ सुहागिन तू अपने गलहार में मगर विदेशी रूप न बंधनेवाला है सिंगार में एक हवा का झोंका, जीवन दो क्षण का मेहमान है अरे ठहरना कहां, यहां गिरवी हरेक मकान है व्यर्थ सुनहली धूप और यह व्यर्थ रुपहली चांदनी हर प्रकाश के साथ किसी अंधियारे की पहचान है चमकीली चोली चुनरी पर मत इतरा यूं सांवरी सबको चादर यहां एक सी मिलती चलती बार में चमकीली चोली चुनरी पर मत इतरा यूं सांवरी सबको चादर यहां एक सी मिलती चलती बार में यहां कितना ही उपाय करो, झूठ सच नहीं हो पाता। तुम्हारी जिंदगी झूठ को सच करने का उपाय है। मैं तुमसे जो कह रहा हूं वह सीधा-सीधा सच है - श्रवणमात्रेण । उसकी चोट पड़ने दो। आज तुम मजे से सुन रहे हो, मजे से सुनो। इसी मजे मजे के बहाने उतर जायेगा सत्य गहरे में। पाषाण कटेंगे। क्योंकि तुम्हारा जीवन झूठ है और जो मैं तुमसे कह रहा हूं, सच है। झूठ जीत नहीं सकता। कितनी ही देर हो जाये, झूठ जीत नहीं सकता। सत्यमेव जयते । सत्य ही जीतता है। सदगुरुओं के अनूठे ढंग 317
SR No.032113
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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