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अष्टावक्र के सूत्र ऐसे नहीं हैं कि
पूरा शास्त्र समझें तो काम के होंगे।
एक सूत्र भी पकड़ लिया तो पर्याप्त है । अष्टावक्र की सारी चेष्टा है: रोशनी ।
आंख खोलकर देख लो।
थोड़े शांत बैठकर देख लो।
थोड़े निश्चल मन होकर देख लो।
कहीं कुछ बंधन नहीं है।
वासना है नहीं, प्रतीत होती है।