SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 414
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हो तो बड़ी कठिनाई है। कोई सोया हो तो जगा दो; लेकिन कोई पड़ा हो जागा हुआ और सोने का बहाना कर रहा हो तो कैसे जगाओगे! तुम धक्का दो, वह करवट लेकर फिर पड़ा रहेगा। सोये आदमी को जगाया जा सकता है; जागे हुए को, जो सोने का बहाना कर रहा है, कैसे जगाओगे! कोई उपाय नहीं है। ___अहंकार कुछ है थोड़े ही—सिर्फ धारणा है। वास्तविक होता तो आपरेशन हो सकता था; काट कर अलग कर देते। लेकिन वास्तविक है नहीं। तुम भी अपने भीतर जा कर खोजोगे तो कहीं न पाओगे। बोधिधर्म चीन गया तो चीन का सम्राट उससे मिलने आया और उसने कहा : और सब तो. ठीक है, यह अहंकार मुझे बहुत अशांत किए रहता है। बोधिधर्म ने कहाः ऐसा करो, सुबह तीन बजे आ जाओ और अहंकार को साथ लेकर आना। मैं बिलकुल शांत ही कर दूंगा। वह थोड़ा डरा। तीन बजे रात! और यह आदमी कह रहा है अहंकार को साथ ही ले आना। और मैं बिलकुल शांत ही कर दूंगा, एकबारगी में निपटारा कर दूंगा! यह आदमी पागल तो नहीं है! यह क्या कह रहा है! लेकिन यह आदमी था बड़ा प्रभावशाली-बोधिधर्म। इसकी प्रतिभा बड़ी अदभुत थी। इसके आसपास की हवा में बात थी। तो सम्राट आकर्षित तो हुआ। और ऐसा किसी ने कभी कहा भी नहीं था कि बस आ जाओ, खतम कर देंगे एक बार में, यह क्या बार-बार लगा रखना! . जब वह लौटने लगा, सीढ़ियां उतर रहा था, तब बोधिधर्म ने फिर डंडा बजा कर कहा कि सुनो, भूल मत जाना, तीन बजे आ जाना और यह मत भूल जाना कि अहंकार साथ ले आना, नहीं तो कहीं घर छोड़ आओ! सम्राट सोचने लगा, यह क्या पागल है आदमी! घर छोड़ आऊंगा! अहंकार कोई चीज है जो घर छोड़ आऊंगा। रात भर सो न सका। कई बार सोचा कि न जाये, क्योंकि उस अंधेरी रात में, तीन बजे रात उस मंदिर में, एकांत में, यह आदमी कुछ भरोसे का नहीं, डंडा मारने लगे या कुछ करने लगे! इसकी बात-चीत ऐसी है। लेकिन आकर्षण अदम्य था, रुक भी न पाया; तीन बजे उठ ही आया। उसके वजीरों ने भी कहा कि यह उचित नहीं है, क्योंकि यह आदमी कुछ अभी नया-नया आया है...कुछ देर रुकें। यह कुछ भरोसे का नहीं है। इसकी बातें उल्टी हैं। और भी लोगों से इसने कुछ इसी तरह की अनर्गल बातें कही हैं। आप थोड़े ठहरें। लेकिन सम्राट ने कहा कि नहीं, उसने बुलाया और ऐसा किसी ने कभी कहा भी तो नहीं था, आश्वासन भी किसी ने नहीं दिया था; मैं जाऊंगा, देखू क्या होता है। सम्राट गया। कंपता-कंपता, डरता-डरता सीढ़ियां चढ़ा। बोधिधर्म बैठा था वहां डंडा लिए। उसने कहा : बैठे जाओ सामने। ले आये अहंकार? सम्राट ने कहाः आप कैसी बातें करते हैं! अहंकार कोई चीज थोड़े ही है, मैं ले आऊं! तो बोधिधर्म हंसा। उसने कहा ः तो पचास प्रतिशत काम तो हल ही हो गया। चीज नहीं है अहंकार, वस्तु नहीं है, कुछ है नहीं! सम्राट ने कहा: कोई वस्तु थोड़े ही है; सिर्फ खयाल है। तो उसने कहाः चलो आधा तो मामला हल ही हुआ। अब खयाल ही रह गये, खयाल को ही हटाना है, आंख बंद कर लो और खयाल को खोजो कि कहां है! भीतर जाओ, ठीक से जांच-पड़ताल करो कि अहंकार कहां छिपा बैठा है। और मैं यहां डंडा लिए बैठा हूं; जैसे तुम पकड़ लो भीतर, सिर 398 अष्टावक्र: महागीता भाग-4
SR No.032112
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy